स्वार्थी एवं आत्मकेंद्रित भारतीय जनता !

‘भारतीय जनता स्वार्थी एवं आत्मकेंद्रित हो जाने के कारण उसमें राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम नहीं है। इसलिए ऐसी जनता राष्ट्र एवं धर्म के प्रति मन में कोई भावना न रखनेवाले उम्मीदवार को चुनती है, इसमें आश्चर्य की क्या बात है!’

हिन्दुओं के लिए यह लज्जाजनक !

‘साक्षात ईश्वर चुनाव में खड़े हो जाएं, तब भी अधिकांश हिन्दू उन्हें मत नहीं देंगे; क्योंकि वे झूठे आश्वासन नहीं देते।

जनता को स्वार्थपूर्ति करना नहीं; त्याग करना सिखाएं !

‘नेता जनता को ‘यह देंगे, वह देंगे’ ऐसे आश्वासन देकर स्वार्थी बनाते हैं ; जबकि साधक जनता को सर्वस्व का त्याग करना सिखाते हैं !’

नेताओं और साधकों में मूलभूत अंतर !

‘नेता समाज में स्वयं के लाभ के लिए ‘मुझे मत दीजिए’, ऐसा कहते हैं। इसके विपरीत साधक लोगों से स्वयं के लिए कुछ नहीं मांगते, अपितु ‘ईश्वर प्राप्ति हेतु साधना करें’, ऐसा कहते हैं!’

विज्ञान से तात्कालिक सुख जबकि अध्यात्म से चिरंतन आनंद की प्राप्ति !

‘विज्ञान यह सिखाता है कि माया संबंधी वस्तुएं कैसे प्राप्त करें, उनसे तात्कालिक सुख कैसे प्राप्त करें ? इसके विपरीत अध्यात्म यह सिखाता है कि सर्वस्व का त्याग कर चिरंतन आनंद कैसे प्राप्त करें ।’

अंग्रेजी की तुलना में संस्कृत की श्रेष्ठता !

‘अंग्रेजी भाषा सीखने पर केवल अच्छी नौकरी मिल सकती है; परंतु संस्कृत भाषा सीखने से अध्यात्म का सर्वोच्च ज्ञान और ईश्वर भी मिल सकते हैं !’

संसार की सर्वश्रेष्ठ पदवी !

‘संसार के अनेक विषयों में अनेक पदवियां हैं। ‘डॉक्टरेट’ जैसी अनेक उच्च स्तर की पदवियां हैं; परंतु उनसे भी सर्वश्रेष्ठ पदवी है, ‘सच्चे गुरु’ का ‘सच्चा शिष्य’ !’

अपराधियों के साथ उनके परिजनों को भी दंडित करें !

‘बच्चों पर उनके बचपन में ही सात्त्विकता के संस्कार करें, तो आगे बच्चों के अपराधी होने की संभावना घट सकती है । इसका विचार कर ‘छोटे आयु के अपराधी के परिजनों को भी उचित दंड देने का विचार राज्यकर्ताओं को करना चाहिए ।

माया समझने का प्रयास करने की अपेक्षा साधना कर ईश्वर से एकरूप होना अधिक सरल है!

‘बुद्धि के परे ईश्वर के विश्व का व्यापार चलाने के नियम, अर्थात माया समझने का प्रयास करने की अपेक्षा साधना कर ईश्वर से एकरूप होना अधिक सरल है !’

संस्कृत की अद्वितीयता तथा कांग्रेस की कर्मदरिद्रता

संस्कृत भाषा में जैसे भाषा-सौंदर्य से भरे और जीवन संबंधी मार्गदर्शन करनेवाले सहस्त्रों सुभाषित हैं, क्या वैसे संसार की किसी भी अन्य भाषा में हैं? ऐसी भाषा को कांग्रेस सरकार ने मृत भाषा घोषित किया !’