मतदाताओ, मत देते समय इस बात का विचार करो !

‘मतदाताओ, आपके द्वारा चुने गए उम्मीदवार द्वारा की गई चूकों (गलतियों) के लिए आप ही उत्तरदायी होंगे । इसलिए उन चूकों का पाप आपको लगेगा, यह ध्यान में रखकर मतदान करो !’

नौकरी के लिए शैक्षिक पात्रता के साथ ही व्यक्तिगत गुण भी महत्त्वपूर्ण !

‘किसी भी क्षेत्र में किसी को केवल उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी न देते हुए उसके व्यक्तिगत गुण देखकर भी चुनाव करना आवश्यक है !’

मानसिक नहीं, केवल शारीरिक प्रेम करनेवाले आजकल के पति-पत्नी !

आज के काल में स्त्री पुरुषों में अधिकांशतः केवल शारीरिक प्रेम होता है । इस कारण उन्हें विवाह करने की भी आवश्यकता प्रतीत नहीं होती और यदि उन्होंने विवाह किया, तो वह स्थायी नहीं रहता । यदि उनकी एक दूसरे से ना बने, तो मानसिक प्रेम न होने के कारण वे जोडीदार परिवर्तित करते रहते हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘पश्चिमी संस्कृति एवं दर्शन केवल भौतिक एवं सामाजिक विषयों का अध्ययन करते हैं । इसके विपरीत हिन्दू संस्कृति और दर्शन भौतिक एवं सामाजिक विषयों के साथ ही आध्यात्मिक विषयों का अध्ययन करते हैं तथा ईश्वरप्राप्ति के ध्येय के विषय में मार्गदर्शन करते हैं ।’ 

कलियुग की सर्वश्रेष्ठ नामजप साधना, नामजप की वाणियां एवं ध्वनि-प्रकाश विज्ञान

आधुनिक विज्ञान भले ही इस बात से अनभिज्ञ हो; परंतु अध्यात्मशास्त्र ने मनुष्य की ४ देह बताई हैं । इन ४ देहों की वैखरी, मध्यमा, परा एवं पश्यंति, ये ४ वाणियां बढते क्रम में उच्च कोटि की बनती जाती है ।

जन्मतः साधना की समझ, प्रगल्भ बुद्धिमत्ता एवं ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कतरास (झारखंड) का चि. श्रीहरि खेमका (आयु ६ वर्ष) !

चूकों के प्रति संवेदनशील, चूकों के प्रति सतर्क रहकर कृति करनेवाला और चूक होने पर प्रायश्चित लेनेवाला चि. श्रीहरि

प्रत्येक व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुरूप साधना उपलब्ध होना, यह केवल हिंदू धर्म की विशेषता !

जितने व्यक्ति, उतनी प्रकृति और उतने ही साधनामार्ग’, यह हिंदू धर्म का एक सिद्धांत है । इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुरूप साधना उपलब्ध हो, इसके लिए हिंदू धर्म में १४ विद्याओं और ६४ कलाओं के मार्ग से साधना सिखाई जा सकती है ।

विज्ञान की न्यूनता !

‘भूमि से थोडी दूर अंतरिक्ष में पहुंचने को बडप्पन माननेवाले विज्ञान को सप्तलोक एवं सप्तपाताल पर परिणाम करनेवाली पूजा, यज्ञ जैसी धार्मिक विधियों के सूक्ष्म शास्त्र का एक प्रतिशत भी ज्ञान है क्या ?’