अतीत में हुई चूकों से व्यथित न हों, अपितु अच्छा भविष्य बनाने हेतु तत्पर हों !
अतीत में जो कुछ भी चूकें हुईं, सो हुईं; परंतु अब उन चूकों को सुधारना संभव हो, तो उन्हें तत्परता से सुधारें, पहले हुईं चूकें पुनः न हों; इस हेतु तत्परता से प्रयास भी करें, ‘स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया’ अच्छे से करें । इस प्रकार प्रयास आरंभ करने से मन सकारात्मक होकर हम आनंदित रहते हैं।’