‘हिन्दू धर्मजागृति सभा, शिविर आदि कार्यक्रमों में या अन्य समय पर अनिष्ट शक्तियां साधकों को तीव्र कष्ट पहुंचाती हैं । इसलिए साधकों के आध्यात्मिक कष्ट में बहुत वृद्धि होती है । ऐसे में वहां उपस्थित अन्य साधक तत्परता से निम्न आध्यात्मिक स्तर के उपचार करें ।
१. स्वयं प्रार्थना एवं नामजप कर आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त साधक को भी वैसा करने के लिए कहें ।
२. उस साधक के चारों ओर उपचार हेतु बक्से रखें ।
३. धीमी आवाज में प.पू. भक्तराज महाराजजी के भजन चलाएं ।
४. इन साधकों के लिए सात्त्विक इत्र, कपूर, गोअर्क, साथ ही विभूति के उपचार करने पर कभी-कभी उत्पादों में विद्यमान सात्त्विकता के कारण साधकों के आध्यात्मिक कष्ट का स्तर बढता है । ऐसे में आध्यात्मिक कष्ट घटने तक प्रार्थना, नामजप करना एवं बक्से तथा भजन चलाना; इतने ही उपचार करें ।
५. आवश्यक अन्य उपाय उपचार करने के विषय में उत्तरदायी साधकों से भी पूछ लें ।
संकटकाल की तीव्रता प्रतिदिन बढ रही है तथा अनिष्ट शक्तियां राष्ट्र एवं धर्म के कार्य में बाधाएं उत्पन्न करने का दृढतापूर्वक प्रयास कर रहे हैं । ईश्वर के सर्वशक्तिमान होने से वे प्रतिक्षण साधकों की सहायता करते ही रहते हैं । इसलिए साधक ऐसे प्रसंगों में बिना डगमगाए स्थिर रहकर श्रद्धापूर्वक सभी आध्यात्मिक उपचार करें ।’