संपादकीय : वक्फ कानून रद्द करें !

वक्फ कानून के कारण इच्छित भूमि पर अधिकार जताने का दावा सीधे-सीधे ‘लैंड जिहाद’ को प्रोत्साहित करनेवाला है । लोकतंत्रवाले भारत में ऐसा कानून बन ही कैसे सकता है ? यही प्रश्न है ।

संवैधानिक आरक्षण का वर्गीकरण करने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय !

७ न्यायाधीशों के इस संविधान पीठ में केवल न्यायाधीश बेला त्रिवेदी ने ही भिन्न मत रखा । अन्य ६ न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से घोषित किया कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों में स्थित जातिनिहाय उपवर्गीकरण कर सकती हैं ।

‘रैंप जिहाद’ : हिन्दू महिलाओं के साथ षड्यंत्र !

‘अब तक आपने अनेक जिहाद सुने अथवा देखे होंगे; परंतु हिन्दू महिलाओं के साथ ऐसा ही एक और जिहाद चल रहा है, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे तथा वह है ‘रैंप शो !’ जिन फैशन-माफियाओं में देश के अधिकांश ब्यूटी पार्लर मुसलमानों ने ‘हाइजैक’ (नियंत्रण स्थापित) कर लिया है ।

बांग्लादेश के हिन्दुओं का कोई तारणहार न होने से उनकी स्थिति दयनीय !

भारत के हिन्दुओ, ‘बांग्लादेश की घटनाएं वर्तमान हैं; परंतु यह आपका भविष्य है’, इसे आप न भूलो ! हिन्दू संगठित नहीं हुए, तो भगवान भी उनकी रक्षा क्यों करें ?

बांग्लादेश में चल रही अराजकता तथा भारत के सामने खडी चुनौतियां !

बांग्लादेश में चल रही अराजकता उनके लोकतंत्र, आर्थिक विकास तथा भारत के लिए दुर्भाग्यजनक !

शारीरिक कष्ट बढने के विविध कारण

जब आप अन्न, हवा एवं पानी इन मूल बातों पर निर्भर होते हैं तथा वही यदि मिलावट आ जाती है, तो बीमारी से कोई अछूता नहीं रह सकता ! चिकित्सकीय क्षेत्र के लोग भी ! इसीलिए हमारी दादी जिस प्रकार स्वस्थ रही, उस प्रकार स्वस्थ रहने के लिए हमारी पीढी को बहुत अधिक प्रयास करने पडेंगे, यह निश्चित है !

सनातन की ग्रंथमाला : श्राद्ध (भाग १) महत्त्व एवं अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन

श्राद्धकर्म विधि करने से होनेवाले लाभ जानने हेतु पढें सनातन का ग्रंथ !

सनातन का लघुग्रंथ : आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण

‘आध्यात्मिक कष्ट होना’ भले ही हमारे हाथ में न हो, तब भी ‘आध्यात्मिक उपचारों से कष्टों को नियंत्रण में रखना तथा धीरे-धीरे उन्हें मिटाना’ हमारे हाथ में होता है । ‘आध्यात्मिक उपचारों से हम कष्टों पर निश्चित ही विजय प्राप्त कर सकते हैं’, स्वयं में यह विश्वास उत्पन्न करना पडता है । प्रस्तुत लेखमाला में दिए गए अधिकतर दृष्टिकोण सभी के लिए उपयुक्त हैं ।

गणेशोत्सव का आरंभ श्री गणेश चतुर्थी को ही क्यों ?

गणेश तृतीया, गणेश पंचमी अथवा गणेश सप्तमी के दिन क्यों नहीं मनाई जाती ? तत्त्ववेत्ता पुरुषों की भावना एवं मान्यता यह है कि मनुष्य में सत्त्व, रज एवं तम ये ३ गुण होते हैं । उन्हें सत्ता दिलानेवाला चैतन्य चौथा है ।

मोदक

‘मोद’ का अर्थ है आनंद तथा ‘क’ का अर्थ है छोटा सा अंश ! मोदक का अर्थ है आनंद का छोटा सा अंश !