रासायनिक, जैविक और प्राकृतिक कृषि में अंतर !
आपातकाल में रासायनिक अथवा जैविक खाद उपलब्ध होना कठिन है । प्राकृतिक कृषि पूर्णतः स्वावलंबी कृषि है तथा आपातकाल के लिए, साथ ही सदैव के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त है ।
आपातकाल में रासायनिक अथवा जैविक खाद उपलब्ध होना कठिन है । प्राकृतिक कृषि पूर्णतः स्वावलंबी कृषि है तथा आपातकाल के लिए, साथ ही सदैव के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त है ।
ग्रंथों में सरल भाषा और संस्कृत श्लोकों का यथोचित उपयोग है तथा ये ग्रंथ दिव्य ज्ञानामृत ही हैं । ये ग्रंथ अपने मित्र, परिजन, कर्मचारियों को उपहार स्वरूप देने के लिए भी उपयुक्त हैं ।
रसोईघर के कचरे को ‘पौधों का आहार’ संबोधित करने पर, उस कचरे की ओर देखने का अपना दृष्टिकोण बदल जाता है । केवल शब्द बदलने से अपनी कृति में भी परिवर्तन होता है और हम इस ‘आहार’ को फेंकते नहीं अपितु ‘पौधों को खिलाते हैं ।
आपातकाल में डॉक्टर, चिकित्सालय, औषधियों की उपलब्धता नहीं होगी । ऐसी परिस्थिति में सामान्य जनता को स्वयं के विविध विकारों पर होमियोपैथी के स्वयं उपचार करना हो, इसलिए सनातन तत्काल इस विषय पर जानकारी देनेवाले ग्रंथों की निर्मिति कर रही है ।
भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस द्वारा वर्ष २०२२ के लिए की हुई भविष्यवाणी !
आगामी कालमें विश्वयुद्ध सहित बाढ, भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाएं भी होंगी । ऐसेमें विकार और आपदाओं का सामना करनेकी पूर्वतैयारीके रूपमें यह ग्रन्थमाला पढें ! ये ग्रन्थ सामान्यतः भी उपयुक्त हैं ।
हिन्दू धर्म और आयुर्वेद में तुलसी को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बताया गया है । तुलसी में श्रीविष्णु तत्त्व होता है । धर्मशास्त्र कहता है कि ‘प्रत्येक घर में तुलसी होनी ही चाहिए ।’ तुलसी असंख्य विकारों में उपयोगी है ।
दो सुनामी लहरों में बहुधा कुछ मिनटों अथवा घंटों का अंतर हो सकता है । इसलिए पहली सुनामी की लहर आने के पश्चात भी आगे आनेवाली संभावित बडी लहरों का सामना करने की तैयारी रखें ।
भूकंप कब, कहां और कितनी क्षमता का होगा, इसका पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं । इसलिए यदि हमने सदैव सतर्कता, समयसूचकता और धैर्य रखा, तो जन-धन की हानि टलेगी अथवा अल्प हो सकती है ।
सनातन संस्था ने ‘आपातकाल में संजीवनी सिद्ध होनेवाली ग्रंथमाला’ बनाई है । इस ग्रंथमाला से सीखी हुई उपचार-पद्धतियां केवल आपातकाल की दृष्टि से ही नहीं, अपितु अन्य समय भी उपयुक्त हैं; क्योंकि वे मनुष्य को स्वयंपूर्ण और कुछ मात्रा में परिपूर्ण भी बनाती हैं ।