जीवामृत : सुभाष पाळेकर प्राकृतिक कृषि तंत्र का ‘अमृत’ !

‘पद्मश्री’ पुरस्कार प्राप्त सुभाष पाळेकर ने ‘सुभाष पाळेकर प्राकृतिक कृषि तंत्र’ की खोज की । आज भारत सरकार ने इसका अनुमोदन कर इस तंत्र का प्रसार करने का निश्चय किया है । इस कृषि तंत्र में ‘जीवामृत’ नामक पदार्थ का उपयोग किया जाता है ।

साधकों, ‘छवि बचाना’ के साथ ही अन्य स्वभावदोषों की बलि न चढ, अधिकाधिक लोगों से संपर्क करें !’ – सद्गुरु (सुश्री) स्वाती खाडयेजी, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

उपक्रमों के उपलक्ष्य में समाज के लोगों से संपर्क करने पर ऐसा ध्यान में आया है कि वे हमारी प्रतीक्षा ही कर रहे हैं । इसके विपरीत साधक समाज में जाकर अर्पण मांगने एवं प्रायोजक ढूंढने की सेवा के प्रति उदासीन हैं । साधकों में ‘प्रतिमा संजोना’, अहं का यह पहलू प्रबल होने से वे समाज में जाकर अर्पण मांगने में हिचकिचाते हैं ।

आश्रम में संपन्न कार्यक्रमों के लिए कालीन और पांवडों की आवश्यकता !

रामनाथी, गोवा स्थित सनातन आश्रम में राष्ट्र-धर्म की रक्षा का कार्य किया जाता है । आश्रम में विविध मांगलिक अवसरों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । उस समय व्यासपीठ पर बिछाने के लिए कालीनों (कार्पेट) की आवश्यकता है । साथ ही, संतों के स्वागत के समय पांवडों की आवश्यकता है ।

सनातन के आश्रम के लिए ‘फोटोकॉपी मशीन’ क्रय करने के लिए सहायता कीजिए !

सनातन के आश्रमों में समाज को हिन्दू धर्म के प्रति जागृत करने हेतु नियतकालिक प्रकाशित करना, ग्रंथों की निर्मिति करना, साथ ही ध्वनीचित्र चक्रिकाएं तैयार करना आदि सेवाएं संगणक की सहायता से की जाती हैं । इन सेवाओं के लिए A3 और A4 आकार की संगणकीय प्रतियां (जेरॉक्स) निकालनी पडती हैं ।

कोरोना के लिए उपयुक्त औषधियां

यदि ऑक्सीजन की मात्रा कम हो तो, आरंभ में कार्बोवेज २०० की २ बूंदें हर २ घंटे में और बाद में २ बूंदें दिन में ३ बार लें । आरंभ में ऐस्पिडोस्पर्मा Q की १० बूंदें पाव कप पानी में हर २ घंटे में और बाद में दिन में १० बूंदें ३ बार लें । ये दोनों औषधियां लें ।

धर्मप्रसार का निरंतर कार्य करनेवाले रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में अनाज अर्पण कर धर्मकार्य में अपना योगदान दें !

संस्था के आश्रमों और सेवाकेंद्रों से निरंतर धर्मप्रसार का कार्य किया जाता है । आज के समय में धर्मग्लानि का काल होने से ‘धर्मप्रसार करना’, काल के अनुसार आवश्यक कार्य बन गया है । ‘‘धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले संतों, संस्थाओं अथवा संगठनों को अन्न-अनाज का दान देना’ सर्वश्रेष्ठ दान है ।

वैश्विक महामारी फैलानेवाले ‘कोरोना विषाणु’ के नया प्रकार ‘ओमिक्रॉन विषाणु’ से आध्यात्मिक स्तर पर लडने के लिए यह जप करें !

‘ओमिक्रॉन विषाणु’ का विश्वभर का प्रभाव नियंत्रित हों और उसका प्रसार रुक जाएं, एवं यह नामजप करने के निमित्त से अनेकों को इस आपातकाल में साधना करने की गंभीरता ध्यान में आए और उनके द्वारा साधना आरंभ हो, यही श्रीगुरुचरणों में प्रार्थना !

सनातन के पूर्णकालीन साधकों के विषय में भ्रांति फैलानेवाले ज्योतिषियों से सावधान रहें !

मुखमंडल पर तेज दिखना, यह साधना के कारण आध्यात्मिक उन्नति होने पर दिखाई देनेवाले अनेक लक्षणों में से एक लक्षण है । वाणी चैतन्यमय होना, मुखमंडल आनंदी होना, सुगंध आना, अंतर्मन से नामजप होना इत्यादि अनेक लक्षण होते हैं । इसलिए उन्नति होने के उपरांत ‘मुखमंडल पर तेज दिखना ही चाहिए’, ऐसा नहीं ।

पाठक, शुभचिंतक एवं धर्मप्रेमियों को धर्मकार्य में योगदान करने का स्वर्णिम अवसर !

शोध के माध्यम से संपूर्ण मानवजाति को अनमोल धरोहर उपलब्ध करवानेवाले ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ को छायाचित्रण हेतु ‘कैमरों’ की आवश्यकता !

साधकों, साधक के नाम पर पैसे मांगनेवाले अपरिचित व्यक्ति से सतर्क रहें !

यदि कोई अपरिचित व्यक्ति घर आकर अथवा अन्य किसी भी स्थान पर मिलकर अथवा दूरभाष कर ग्रंथ और पंचांग वितरण के पैसे अथवा अन्य किसी कारणवश पैसे मांगे, तो साधक न दें । स्वयं की अथवा अपने परिजनों की ठगी न हो, इसलिए साधकों को सतर्क रहना चाहिए ।