रासायनिक, जैविक और प्राकृतिक कृषि में अंतर !

आपातकाल में रासायनिक अथवा जैविक खाद उपलब्ध होना कठिन है । प्राकृतिक कृषि पूर्णतः स्वावलंबी कृषि है तथा आपातकाल के लिए, साथ ही सदैव के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त है ।

सनातन के दिव्य ग्रंथों के लिए अनुवादकों की आवश्यकता !

जिन्हें अध्यात्म के प्रति रुचि है उन्हें ईश्वरप्राप्ति शीघ्र कराने हेतु तथा संपूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म का शास्त्रीय परिभाषा में प्रचार करने के उद्देश्य से, सनातन ने मई २०२१ तक ३३८ अनमोल ग्रंथों का प्रकाशन किया है, भविष्य में हजारों ग्रंथ प्रकाशित होंगे ।

आपातकाल की पूर्वतैयारी के रूप में कार्तिकी एकादशी (१५.११.२०२१) से आरंभ सनातन के ‘घर-घर रोपण’ अभियान में सहभाग लें !

रसोईघर के कचरे को ‘पौधों का आहार’ संबोधित करने पर, उस कचरे की ओर देखने का अपना दृष्टिकोण बदल जाता है । केवल शब्द बदलने से अपनी कृति में भी परिवर्तन होता है और हम इस ‘आहार’ को फेंकते नहीं अपितु ‘पौधों को खिलाते हैं ।

‘होमियोपैथी स्वयं उपचार’ के संदर्भ में जानकारी भेजें !

आपातकाल में डॉक्टर, चिकित्सालय, औषधियों की उपलब्धता नहीं होगी । ऐसी परिस्थिति में सामान्य जनता को स्वयं के विविध विकारों पर होमियोपैथी के स्वयं उपचार करना हो, इसलिए सनातन तत्काल इस विषय पर जानकारी देनेवाले ग्रंथों की निर्मिति कर रही है ।

अगले वर्ष निवृत्तिवेतन प्राप्त होने हेतु नवंबर २०२१ में अधिकोष को ‘जीवन प्रमाणपत्र’ (‘लाईफ सर्टिफिकेट’) दें !

‘शासकीय अथवा अशासकीय कर्मचारियों को निवृत्ति के पश्चात प्रत्येक माह ‘निवृत्तिवेतन’ (पेंशन) दिया जाता है । उसके लिए वे जिस अधिकोष से निवृत्तिवेतन लेते हैं, उस अधिकोष में प्रतिवर्ष नवंबर माह में ‘जीवन प्रमाणपत्र’ देना होता है ।

सनातन के दिव्य ग्रंथों के लिए अनुवादकों की आवश्यकता !

जिन्हें अध्यात्म के प्रति रुचि है उन्हें ईश्वरप्राप्ति शीघ्र कराने हेतु तथा संपूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म का शास्त्रीय परिभाषा में प्रचार करने के उद्देश्य से, सनातन ने मई २०२१ तक ३३८ अनमोल ग्रंथों का प्रकाशन किया है, भविष्य में हजारों ग्रंथ प्रकाशित होंगे ।

सर्दियों मेंं होनेवाली बीमारियों पर सरल उपचार

‘सर्दियों में ऋतु के अनुसार ठंड और सूखापन बढता है। उनका उचित ध्यान न रखने से विविध बीमारियां होती हैं । उनमें से अधिकांश बीमारियां ‘तेल के उचित उपयोग और सेंक लेना’, इन उपचारों से नियंत्रण में आती हैं ।

छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होने हेतु आयुर्वेद के निम्न उपचार करें !

प्रत्येक अभिभावक के मन में छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाने के विषय में जिज्ञासा रहती है । रोगप्रतिरोधक शक्ति अच्छी रहने के लिए शरीर का बल और पाचनशक्ति उत्तम होना आवश्यक है ।

पेट साफ होने के लिए रामबाण घरेलु औषधि : मेथीदाना

रात को सोने के पूर्व अथवा रात के भोजन के उपरांत आधा चम्मच मेथीदाना थोडे से पानी के साथ औषधि गोलियां निगलते हैं, उस प्रकार न चबाते हुए निगलें । इससे सवेरे उठने पर पेट स्वच्छ होता है ।