उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का ट्विटर खाता हैक !

उत्तर प्रदेश जैसे बडे राज्य में जहां मुख्यमंत्री कार्यालय का ट्विटर खाता हैक हो सकता है, वहां सामान्य नागरिकों के सामाजिक माध्यमों के खाते की सुरक्षा की कल्पना ही न करें !

‘बार काउन्सिल ऑफ इंडिया’ ने पोशाक के विषय में अभ्यास करने के लिए बनाई समिति !

अधिवक्ता जो बैंड लगाते हैं, उसे ईसाई देशों में ‘प्रिचिंग बैंड’ कहा जाता है । ईसाई धर्मगुरु धार्मिक प्रवचन देते समय यह बैंड प्रयोग करते हैं । ये बैंड ईसाई धर्म का धार्मिक चिह्न हैं । इसलिए, वह अधिवक्ताओं को परिधान करने को बताना विधिसम्मत नहीं है ।

उत्तरप्रदेश में धर्मांध द्वारा हिन्दू लडकी का अपहरण कर उसका धर्मपरिवर्तन

उत्तरप्रदेश में लव जिहाद का कानून होते हुए भी उद्दंड धर्मांध हिन्दू लडकियों को फांसते ही हैं । उनमें (धर्मांधो में) भय उत्पन्न करने के लिए कठोर निर्णय लेना आवश्यक !

रमजान काल में मुसलमान सरकारी कर्मचारियों को कार्यालयीन समय से एक घंटा पूर्व ही घर जाने की अनुमति !

सरकारी कर्मचारियों को जनता के पैसों से वेतन दिया जाता है । उसमें यदि मुसलमान कर्मचारी एक मास प्रतिदिन १ घंटा अल्प काम करेंगे, तो सरकार को उनके वेतन से ही पैसे काटने चाहिए !

अनेक हिन्दू व्यापारियों ने सम्पत्ति विक्रय कर की पलायन की तैयारी !

देश में सर्वदलीय सरकारों के कार्यकाल में ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं । राजस्थान में, वर्तमान में कांग्रेस कि सत्ता है । इसलिए, धर्मान्धों को अधिक उन्माद चढा हैं । राजस्थान के हिन्दुओं को इसका विरोध करने के लिए संघटित होना चाहिए ।

राजस्थान में हिन्दू धार्मिक त्योहारों से पहले ही कुछ जिलों में ध्वनिक्षेपक और धार्मिक झंडों के प्रयोग पर रोक !

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हिन्दू त्योहारों पर विभिन्न प्रतिबंध लगाए गए हैं; ध्यान दें ! किन्तु, मुहर्रम के समय इस प्रकार के प्रतिबंध कभी नहीं लगाए जाते !

अलीगढ मुसलमान विश्वविद्यालय में, हिन्दू प्रोफेसर ने ही हिन्दू देवताओं का निंदनीय अपमान किया !

हिन्दुओं में धर्म शिक्षा के अभाव के कारण ही ऐसी घटनाएं होती रहती हैं । मात्र हिन्दू उसका विरोध न कर चुप्पी साध लेते हैं ; यह हिन्दुओं के लिए अति लज्जास्पद है !

(कहते हैं) ‘आक्रमणकर्ता मुर्तजा मनोरोगी !’

समाजवादी पक्ष, यह जिहादी आक्रमणकारीयों का पक्ष लेनेवाला दल है ; ये समय- समय पर स्पष्ट हुआ है । इसी पक्ष के सत्ताकाल में कारसेवकों को गोलीयों से मारकर उनकी मृतदेहों को बडे-बडे पत्थर बांधकर शरयू नदी में फेंका गया था ।