अलीगढ मुसलमान विश्वविद्यालय में, हिन्दू प्रोफेसर ने ही हिन्दू देवताओं का निंदनीय अपमान किया !

हिन्दू ही हिन्दू धर्म के वास्तविक शत्रु हैं !

विश्वविद्यालय ने किया निलंबित !

  • यदि कोई हिन्दू प्राध्यापक किसी इस्लामी विश्वविद्यालय में अपने श्रद्धा स्थानों का अनादर कर रहा है, तो क्या अन्य धर्मावलंबी हिन्दू धर्म का सम्मान करेंगे ? – संपादक
  • हिन्दुओं में धर्म शिक्षा के अभाव के कारण ही ऐसी घटनाएं होती रहती हैं । मात्र हिन्दू उसका विरोध न कर चुप्पी साध लेते हैं ; यह हिन्दुओं के लिए अति लज्जास्पद है ! – संपादक

लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) – “अलीगढ मुसलमान विश्वविद्यालय (ए.एम.यू.) के सहायक प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र कुमार पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया गया था, जिसके कारण हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई । फलस्वरूप, विश्वविद्यालय ने उनके विरुद्ध  कार्रवाई की है । डॉ. कुमार पर फोरेंसिक मेडिसिन विभाग की कक्षा में, मेडिकल छात्रों को संबोधित करते हुए हिन्दू पौराणिक कथाओं के संदर्भ में देवताओं का अपमानजनक उल्लेख करने का आरोप है ।उनके विरोध में कारण बताओ सूचना जारी की गई है और उन्हें आगामी सूचना तक निलंबित कर दिया गया है”,  विश्वविद्यालय के जनसंपर्क प्रमुख शफी किदवई ने बताया । विश्वविद्यालय के कुलगुरु तारिक मंसूर ने भी घटना का निषेध किया है । ऐसा कहा जाता है कि, डॉ. कुमार ने बिना शर्त क्षमायाचना की है ।

किदवई ने कहा कि, “इस व्याख्यान में डॉ. कुमार द्वारा किए गए आक्षेपार्ह उल्लेख को छात्रों ने सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित कर दिया । विश्वविद्यालय ने इसे गंभीरता से लिया है और निलंबन के उपरांत आगे की कार्रवाई की जाएगी ।” पुलिस ने जितेंद्र कुमार के विरोध में प्रकरण प्रविष्ट कर लिया है ।

डॉ. कुमार ने  देवताओं के विरोध में की आपत्तिजनक टिप्पणी !

“ब्रह्मा ने अपनी पुत्री का बलात्कार किया था । साथ ही, इंद्र ने गौतम ऋषि का रूप धारण कर, उनकी पत्नी का बलात्कार किया था । भगवान विष्णु ने किया राजा जालंधर की पत्नी का बलात्कार !” (धर्मशास्त्र का अध्ययन न करने के कारण, ऐसा घृणित उल्लेख करने वाला हिन्दू प्राध्यापक ! यदि ऐसा उल्लेख इस्लाम के श्रद्धा स्थान पर किया गया होता, तो प्राध्यापक निलंबित नहीं, अपितु उसे त्वरित नौकरी से ही निकाल देते ।  प्रोफेसर के विरोध में फतवा जारी होता । विश्वविद्यालय के धर्मांध कट्टर छात्रों से, श्रद्धा स्थान का अनादर करने वाले  प्राध्यापक की जान को धोखा भी हो सकता था । यदि कोई ऐसा कहता है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए । – संपादक)