देहली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने पर अमेरिका को चिंता होने का कोई कारण नहीं था; परंतु सदैव की भांति भारत के अंतर्गत प्रकरण में उसने हस्तक्षेप करने का प्रयास किया ही ! अमेरिका ने यह अपेक्षा व्यक्त की है कि केजरीवाल प्रकरण में निष्पक्ष, पारदर्शी पद्धति से तथा शीघ्रता से कानूनी प्रक्रिया होनी चाहिए । अमेरिका को केजरीवाल से इतना प्रेम होने का क्या कारण है ? कुछ दिन पूर्व प्रवर्तन निदेशालय ने (‘ईडी’ ने) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी गिरफ्तार किया था; परंतु उस समय अमेरिका ने सोरेन के प्रकरण में निष्पक्ष, पारदर्शी आदि प्रक्रिया होने के संबंध में कुछ नहीं कहा था । केजरीवाल का उपद्रव मूल्य सोरेन से अधिक है, यह अमेरिका को ज्ञात है । भारत के प्रत्येक प्रकरण में अमेरिका को रुचि होती ही है, ऐसा नहीं है । जिस प्रकरण के कारण अमेरिका का हित संकट में आ सकता है, उसकी ओर वह सूक्ष्म दृष्टि से देखती है, ऐसा हम कह सकते हैं । ‘केजरीवाल को गिरफ्तार करने के उपरांत अमेरिका इतनी बेचैन क्यों ?’, यह जानना हो, तो हमें अमेरिका एवं केजरीवाल की ‘समानता’ को समझना होगा ।
जिन बातों अथवा समस्याओं के कारण भारत का हित बाधित हो सकता है, ऐसी बातों का केजरीवाल ने समर्थन किया । कृषि कानून, नागरिकता संशोधन (सीएए), ये कानून भारतीयों के हित में थे; परंतु उससे केजरीवाल को उदरशूल हुआ । ‘सीएए’ का विरोध करनेवाले समाजविरोधी घटक जब शाहीनबाग में धरना देकर बैठे थे, उस समय केजरीवाल ने उनके लिए कालीन बिछाई । उनका विरोध करने के स्थान पर उनकी मांगों का समर्थन किया । यही बात कृषि कानूनों के समय हुए विरोध में भी सामने आई । अमेरिका ने भी ‘सीएए’ एवं कृषि कानूनों का विरोध किया है । वर्तमान में विवशता के कारण अमेरिका ने भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित किए हैं; परंतु इसके आधार पर हम ‘अमेरिका भारत का मित्र देश है’, ऐसा नहीं कह सकते । इसलिए जब भारत विरोधी घटकों पर शिकंजा कसा जाता है, तब अमेरिका को उससे कष्ट होता है । इन सभी बातों पर विचार करते हुए केजरीवाल एवं शराब घोटाले तक ही यह चर्चा सीमित नहीं रहनी चाहिए । आप की सरकार ने ईडी के कुछ अधिकारियों के चल दूरभाष ‘टैप’ करने का प्रयास किया था, यह भी जानकारी सामने आई है । ‘भ्रष्टाचार के विरोध में मजबूत आवाज’ के रूप में केजरीवाल ने अपनी पहचान बनाई । जिन्होंने भ्रष्टाचार के निर्मूलन के लिए राजनीति में प्रवेश किया, उस दल के ही अनेक मंत्री आज भ्रष्टाचार के प्रकरण में कारागृह में हैं । आप के विषय में जो कुछ तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे इस दल के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या किसी के साथ हितसंबंध हैं ?, इसकी भी पडताल करने का समय आ चुका है । इस दल का तथा उसके नेताओं का ‘सूत्रधार’ कौन है ?’, यह भी सामने आना चाहिए ।
भारत की भूमि का महत्त्वपूर्ण !
वैश्विक राजनीति पर अपना प्रभाव सदैव बना रहे, इसके लिए अमेरिका ने अनेक उपद्रव किए हैं । जिन देशों के आंतरिक प्रकरणों में उसने हस्तक्षेप किया, उस देश की स्थिति दयनीय हुई, यह इतिहास है । अफगानिस्तान भले ही इसका ताजा उदाहरण हो; परंतु लेबनान, सीरिया एवं ईरान के उदाहरण भी यहां लिए जा सकते हैं । रूस द्वारा युद्ध घोषित किए जाने पर अमेरिका ने यूक्रेन को किस प्रकार उसके हाल पर छोड दिया, यह संपूर्ण विश्व ने देखा है । अमेरिका को भारत को भी अपने नियंत्रण में रखना है; परंतु वह संभव न होने के कारण वह अलग प्रकार से प्रयास करता दिखाई दे रहा है । वर्तमान स्थिति में अमेरिका द्वारा खालिस्तानी आतंकियों को दिया जा रहा अभय उसकी कुटिल राजनीति का एक अंग है । अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार डाला तथा इस माध्यम से ‘हम आतंकियों को करुणा नहीं दिखाएंगे’, यह उसने दिखा दिया; परंतु यही अमेरिका खालिस्तानी आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू के संदर्भ में भारत को सुनाती है । इतना ही नहीं, अमेरिका स्थित भारत के उच्चायुक्तालय पर जब खालिस्तानी आतंकवादियों ने आक्रमण किया, तब अमेरिका उनके विरुद्ध ठोस नीति नहीं अपनाती । अमेरिका की इच्छा हो, तो वह वहां कार्यरत खालिस्तानियों को झटका दे सकता है; परंतु उसे खालिस्तानियों के कंधों पर बंदूक रखकर भारत को अशांत रखना है । अमेरिका उसी की भूमि में खालिस्तानवाद का पोषण करता है । खालिस्तानवादियों के सूत्र पर कैनडा एवं अन्य पाश्चात्य देशों को साथ लेकर अमेरिका भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने का प्रयास करता है, यह उजागर सत्य है ।
जर्मनी ने जब केजरीवाल प्रकरण में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया, तब भारत ने आक्रामक होकर उसके कान पकड लिए थे । अमेरिका द्वारा केजरीवाल के संदर्भ में वक्तव्य दिए जाने के उपरांत भारत ने अमेरिका के राजदूत को बुलाकर उससे स्पष्टीकरण पूछा । क्या इस प्रकरण में भारत अधिक आक्रामक नीति अपनाएगा ?, इसकी ओर सभी का ध्यान है ।
आप एवं खालिस्तानी !
आप एवं खालिस्तानियों के संबंध अब छिपे नहीं रहे हैं । केजरीवाल की गिरफ्तारी के उपरांत अमेरिका में रहनेवाले खालिस्तानी आतंकवादी गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने केजरीवाल की सच्चाई उजागर की । उसने आप सरकार की स्थापना के लिए केजरीवाल को १३३ करोड रुपए देने का दावा किया है । पन्नू ने यह भी कहा है कि केजरीवाल ने आप की सरकार बनते ही गिरफ्तार आतंकी देविंदर पाल सिंह भुल्लर को छोडने का वचन दिया था । पन्नू ने जब खुलेआम ऐसे वक्तव्य दिए हैं, तब आपवालों ने आगे आकर इन सूत्रों का खंडन नहीं किया है । पिछले चुनाव प्रचार के समय आपवालों ने खालिस्तानवादियों के घर में निवास किया था, यह भी आरोप आप पर लगा था । आतंकियों के साथ संबंध रखनेवाला राजनीतिक दल देश की राजधानी में सत्ता पर होना लज्जाजनक है । जहां आप के एक के पश्चात एक घोटाले सामने आ रहे हैं, ऐसे में इस दृष्टि से भी उसकी जांच होकर सच्चाई सामने आना आवश्यक है ।
केजरीवाल की गिरफ्तारी के उपरांत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी जो गूंज उठ रही है, उसके पीछे गर्भित अर्थ है । केजरीवाल की गहन जांच होकर उनके अन्य देशों से अथवा वहां के राजनेताओं के साथ हितसंबंध सामने आए, तो उन देशों की मानहानि हो सकती है । वह न हो; इसीलिए तो ये देश भारत पर दबाव नहीं बना रहे हैं, इस संभावना को भी अस्वीकार नहीं किया जा सकता । भारतविरोधी घटकों को साथ लेकर भारत को झुकाने का विदेशी शक्तियों का यह षड्यंत्र उजागर होना आवश्यक है !
भारत का मित्र देश होने का नाटक कर भारतविरोधी गतिविधियां चलानेवाले अमेरिका को उसे समझ में आनेवाली भाषा में ही उत्तर देना आवश्यक ! |