विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) में मंदिर की दानपेटी में मिला १०० करोड रुपए का धनादेश (चेक); परंतु बैंक खाते में केवल १७ रुपए !
यह हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद है, कि इस देश में भगवान के साथ ऐसा छल हो रहा है !
यह हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद है, कि इस देश में भगवान के साथ ऐसा छल हो रहा है !
अत्याधुनिक तंत्रज्ञान का उपयोग करते समय उस विषय में प्रबोधन करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, क्या यह रेल-प्रशासान के ध्यान में नहीं आता ? प्रशासन को आरोपी पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे अन्य यात्रियों की ऐसा करने की हिम्मत न हो !
मतदाताओं को दिए हुए आश्वासनों की आपूर्ति न करने का खेद !
भेजे गए ७ उपग्रहों में ‘डीएस-एसएआर’ सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण उपग्रह है । यह उपग्रह सिंगापुर सरकार के भिन्न भिन्न तंत्रों की आवश्यकताओं की आपूर्ति करेगा ।
अन्य पंथों के प्रार्थना-स्थलों पर कभी किसी प्राणी का मांस नहीं फेंका जाता; परंतु हिन्दू मंदिरों में गोमांस फेंकने की घटनाएं बार-बार होती रहती हैं, इस विषय पर कभी धर्मनिरपेक्षतावादी क्यों नहीं बात करते ?
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ‘ब्रह्मोत्सव’ निर्विघ्न संपन्न होने हेतु नाडीपट्टिका के माध्यम से महर्षि ने तिरुपति जाकर श्री बालाजी के दर्शन कर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए बताया था ।
‘इसरो’ के वैज्ञानिकों ने तिरुपति के बालाजी मंदिर में जा कर लिया आशीर्वाद !
अनधिकृत निर्माणकार्य जब हो रहा था, तब क्या प्रशासन सो रहा था ? यह न्यायालय को क्यों कहना पडता है ? प्रशासन को स्वयं क्यों समझमें नहीं आता ? इसके लिए उत्तरदायी दायित्वशून्य अधिकारियों को कारागृह में डालना चाहिए !
ऐसी मांग क्यों करनी पडती है ? पुलिस को स्वयं को यह कैसे नहीं समझ में आता ?
मूलतः मंदिरों का ‘व्यवस्थापन’ ठीक नहीं हैं, ऐसा कहकर सरकार द्वारा मंदिर नियंत्रित किए जाते हैं । तथापि मंदिर नियंत्रित करने के उपरांत मंदिर की भूमि भी सरकार नहीं संभाल पाती है । इसलिए उन पर अतिक्रमण होता है ! यह सरकार का कौनसा ‘आदर्श व्यवस्थापन’ है ? इसलिए मंदिर भक्तों के नियंत्रण में ही रहें, ऐसा कानून होना चाहिए !