Dabholkar Murder Case Verdict : डॉ. दाभोलकर हत्या के मामले में ३ जन निर्दोष मुक्त , जबकि २ जन दोषी
सभी संदिग्ध अपराधियों पर लगाया ‘यु.ए.पी.ए.’ (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) न्यायालय ने हटाया !
सभी संदिग्ध अपराधियों पर लगाया ‘यु.ए.पी.ए.’ (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) न्यायालय ने हटाया !
न्यायालय की सुरक्षा तितरबितर ! यदि जूतों की जगह कोई प्राणघातक हथियार रहता, तो क्या हुआ होता ? इस प्रकरण में संबंधित पुलिस पर भी कार्यवाही होनी चाहिए !
देहली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाला प्रकरण में अंतरिम जमानत पर कारागार से बाहर हैं । अगले महीने उन्हें कारागार लौटना पड़ेगा ।
मेधा पाटकर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत दंडनीय अपराध किया है। इसलिए वे दोषी हैं। उन्होने जानबूझकर शिकायतकर्ता को बदनाम किया।
आपराधिक मामला चलाने के लिए, परिवार के सदस्यों के खिलाफ आरोप स्पष्ट होने चाहिए। अदालत ने कहा, ‘प्रत्येक सदस्य द्वारा निभाई गई विशिष्ट भूमिकाओं को उजागर किया जाना चाहिए।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक मामले में १८ लोगों को जमानत देते हुए टिप्पणी की है कि ‘भीड़ का कोई धर्म नहीं होता है।’ ये मामला बाबू मोहम्मद बनाम राजस्थान सरकार ऐसा है।
साधु-संतों को सडक पर उतारना अनिवार्य करनेवाली ममता बनर्जी सरकार को एक दिन हिन्दू ही सडक पर उतारेंगे, यह जान लें !
इस प्रकार न्यायालय के निर्णय का अनादर करनेवाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारतीय संविधान का अनादर कर रही हैं । इस विषय में देश के राजनैतिक दल चुप क्यों हैं ? अथवा उन्हें लग रहा है कि ममता बनर्जी जो कुछ कह रही हैं, वह उचित है ?
मद्रास उच्च न्यायालय ने जूठी पत्तल की अंगपरिक्रमा करने की अनुमति दी है । इस प्रथा पर मद्रास उच्च न्यायालय ने ही वर्ष २०१५ में प्रतिबंध लगाया था ।
मुस्लिमों के नियंत्रण में रहे प्रत्येक धार्मिक भवन पर दावा करते रहने की अपेक्षा संबंधित राज्य के भाजपा शासित सरकार को ही सूची तैयार कर एकत्रित न्यायालयीन याचिकाएं प्रविष्ट करनी चाहिए, हिन्दुओं को ऐसा ही लगता है !