पुलिस आयुक्त और जिलाधीश अपने आप को भगवान मानते हैं !

गुजरात उच्च न्यायालय ने लगाई फटकार!

कर्णावती (गुजरात) – आपके कार्यालय के बाहर कोई भी खडा नहीं हो सकता। क्या आप चाहते हैं कि सामान्य नागरिक आपके कार्यालय के बाहर खडे रहें? उन्हें ऐसा करने की अनुमति कौन देगा? गुजरात उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने गुजरात पुलिस की आलोचना की, कि जिलाधीश और पुलिस आयुक्त ऐसे व्यवहार करते हैं मानो वे वास्तविक देवता या राजा हों।

गुजरात उच्च न्यायालय ने एक प्रकरण पर स्वयं संज्ञान लिया था और उस संबंध में एक जनहित याचिका प्रविष्ट की थी। सुनवाई के समय न्यायालय ने कडी फटकार लगाई।

इस प्रकरण में एक जोडे ने देर रात्रि यात्रा की, इस लिए कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें त्रास दिया । संबंधित पुलिस द्वारा उनसे ६० सहस्र रुपये भी ले लिये गये। इस संबंध में न्यायालय में सुनवाई के समय न्यायाधीश ने पुलिस प्रशासन से प्रश्न किया कि ‘पुलिस के विरुद्ध आरोप प्रविष्ट करने की क्या व्यवस्था है?’

नागरिकों को सहायता प्राप्त करने के क्रमांकों की जानकारी ही नहीं !

न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने पूछा कि क्या प्रशासन ने नागरिकों को कष्ट देने वाली पुलिस के विरुद्ध आरोप करने के लिए कोई ´ सहायता क्रमांक ´ प्रदान किया है; किन्तु यदि उसके संबंध में किसी को कोई जानकारी ही न हो तो उसका लाभ क्या है? ये अत्यंत भयावह वास्तविकता है। एक सामान्य नागरिक के लिए पुलिस थाने या आयुक्त कार्यालय या जिलाधीश कार्यालय में प्रवेश करना कितना कठिन है यह सभी को विदित है। हम न्यायाधीश किसी समय सामान्य नागरिक ही थे। इसलिए हमें भलीभांति इस संबंध में वास्तविकता की पूर्ण कल्पना है। हमारे अपने भी कुछ अनुभव हैं।

नागरिकों को आरोप प्रविष्ट करने हेतु भ्रमणभाष क्रमांक की विस्तृत जानकारी दें!

न्यायमूर्ति अग्रवाल ने आगे कहा कि यदि पुलिस के विरुद्ध आरोप प्रविष्ट करना हो, तो कहां जाना चाहिए ?’, ‘कहां भ्रमणभाष चाहिए ?’, ‘किस से मिलना चाहिए ?’, यह विस्तार से सूचित किया जाना चाहिए। सरकार ने पुलिस के विरुद्ध सूचना देने के लिए १००, ११२ और १०६४ क्रमांक एक प्रदर्शित किए हैं। नियंत्रण कक्ष क्रमांक के साथ शिकायत नंबर १०० और ११२ नहीं दिए जा सकते । इन्हें अलग से प्रकाशित किया जाना चाहिए, इन्हें सामान्य जनता के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

संपादकीय भूमिका 

 जनता की अपेक्षा है कि न्यायालय, जनविरोधी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध नि:संकोच कठोरतम कार्रवाई करें!