सावरकर के लिए वामपंथियों की श्रद्धा और दुराव : एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

‍वीर सावरकरजी के समकालीन साम्यवादियों के दृष्टीकोण से सावरकरजी का महत्त्व क्या था तथा उनके वंशजों ने सावरकर जी को किस प्रकार अपमानित किया, इस विषय पर यह ‍विशेष ‍विचारणीय लेख हमारे पाठकों के लिए प्रसारित कर रहे हैं ।

स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को ‘माफीवीर’ कहना उचित नहीं !

राहुल गांधी स्वतंत्रता वीर सावरकर का अपमान करने को लेकर क्षमा याचना करें, अन्यथा उनके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट कर उन्हें इस प्रकरण में दंड मिलने हेतु प्रयास होना चाहिए !

समय का सदुपयोग हो, इसके लिए करने योग्य आवश्यक प्रयास !

नित्य जीवन में हमें कुछ मात्रा में खाली समय उपलब्ध होता है । ‘इस खाली समय का विनियोग कैसे किया जाए ?’, यह उस व्यक्ति पर, साथ ही उस समय की प्राप्त परिस्थिति पर निर्भर होता है । काल की प्राप्त परिस्थिति निरंतर परिवर्तित हो सकती है; परंतु व्यक्ति पर निर्भर खाली समय का हम उपयोग कर सकते हैं ।

उडुपी नगरपालिका में जिला न्यायालय के समीप के चौक का नाम ‘वीर सावरकर’ रखने का प्रस्ताव सम्मत !

यहां के स्थानीय विधायक रघुपति भट्ट ने नगरपालिका से जिला न्यायालय के समीप के चौक का नाम ‘वीर सावरकर चौक’ रखने का अनुरोध किया था ।

पूर्व मुख्यमंत्री येडियुरप्पा की ओर से कर्नाटक में ‘वीर सावरकर रथयात्रा’ प्रारंभ

ऐसी रथयात्रा द्वारा वीर सावरकर समान लोगों को देश की स्वतंत्रता की खातिर योगदान और बलिदान के लिए जागरुक किया जाएगा । यह रथयात्रा ३० अगस्त तक मैसुरू, मंड्या और चामराजनगर जिलों में जाएगी ।

कर्नाटक में श्री गणेश पंडाल में श्री गणेशमूर्ति के समीप वीर सावरकर का छायाचित्र लगाएंगे – हिन्दू संगठनों का निर्णय

श्रीराम सेना ने इस वर्ष का गणेश उत्सव वीर सावरकर के उत्सव के रुप में मनाने का निर्णय लिया है । इस गणेश उत्सव के समय कर्नाटक में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के विषय में जनजागृति की जाएगी ।

 ‘उन्होंने (हिन्दुत्वनिष्ठों ने ) गांधीजी को मार डाला, क्या वे मुझे छोंडेंगे ?’

कांग्रेसियों द्वारा भारत विभाजन का निर्णय लेने के फलस्वरूप दस लाख हिन्दुओं की हत्या हुई एवं लाखों हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हुआ, इसके लिए कांग्रेसी ही उत्तरदायी हैं !

यह मुसलमानों के बाप का स्थान (जगह) नहीं है; शांति से रहें, अन्यथा पाकिस्तान चले जाएं !

यदि यहां ‘जय पाकिस्तान’ अथवा ‘जय इस्लामिस्तान’ लिखा होता, तो कांग्रेस को वह चूक नहीं प्रतीत होता, यह ध्यान में लें !

कर्नाटक में भाजपा सरकार के विज्ञापनों में नेहरू के स्थान पर स्वतंत्रता सेनानी विनायक सावरकर की छवि !

भाजपा सरकार ने क्या अयोग्य किया ? कांग्रेसी इस वास्तविकता की बात क्यों नहीं करते कि स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को कांग्रेस ने द्वेष के कारण अंधकार में डाल दिया था ? अब सावरकर को यदि कोई न्याय दे रहा है, तो राष्ट्राभिमानी देशभक्तों के लिए यह अभिमानास्पद ही है !

केंद्र सरकार से जुडी हुई संस्था ने स्वतंत्रता अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रकाशित मासिक पत्रिका में स्वतंत्रतावीर सावरकर के १३, जबकि म. गांधी के केवल ३ लेख सम्मिलित !

जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तब उन्होंने स्वतंत्रतावीर सावरकर के नाम एक डाक टिकट निकाला था, यह बात कांग्रेस कैसे भूल जाती है ?