सुकमा (छत्तीसगढ) में मुठभेड के उपरांत ५ नक्सलवादियों को बनाया बंदी !
यहां पुलिस के साथ हुई मुठभेड के उपरांत ५ नक्सलवादियों को बंदी बनाया गया ।
यहां पुलिस के साथ हुई मुठभेड के उपरांत ५ नक्सलवादियों को बंदी बनाया गया ।
यह स्थिति लोकतंत्र को गंभीर रूप से पराजित करनेवाली है, सामान्य लोगों को ऐसा ही लगेगा !
कांग्रेस की सरकार वाले छत्तीसगढ में कानून और सुरक्षा तार-तार ! जहां सैनिक और पुलिस सुरक्षित नहीं, वहां सर्वसामान्य जनता की क्या कहें !
कांग्रेस राज्य में इससे अलग क्या अपेक्षित है ? केंद्र सरकार ने अब पनप रहे नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का प्रयास करना आवश्यक है !
झारखंड के लातेहार जंगल में नक्सलवादियों को ढूंढते समय नक्सलवादियों द्वारा किए गए बम विस्फोट में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के ३ पुलिसकर्मी घायल हो गए ।
इस प्रकरण में केंद्र सरकार ने स्वतंत्र हस्तक्षेप याचिका अथवा आवेदन देकर न्यायालय से यह अनुरोध किया कि नक्सलियों के समर्थक और वामपंथी विचारधारा के लोग बडी मात्रा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कथित अत्याचार के विरुद्ध झूठी याचिकाएं प्रविष्ट करते हैं ।
केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल के ७ सैनिकों की टुकडी भैसंदानी जंगल में चल रहे सडक निर्माण कार्य के लिए सुरक्षा देने हेतु जा रही थी । उस समय उनपर नक्सलवादियों ने गोलीबारी आरंभ कर दी ।
नक्षलवाद के विरोध में लडने के लिए देश के सैनिक सक्षम हैं; परंतु जब नक्सलियों को मुठभेड में मारा जाता है, तब कुछ मानवतावादी गिरोह नक्सलियों के पक्ष में खडे होते हैं । नक्सली जब छोटे बच्चों को मारते हैं, तब यह मानवतावादी लोग सामने नहीं आते ।
यह लज्जाजनक बात है कि, बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां अवैध रूप से रहते हैं तथा भारतीय प्रशासन, पुलिस एवं सुरक्षा बलों को उसका अता-पता भी नहीं होता है !
शहरी नक्सलवाद के प्रकरण में बंदी बनाए गए आरोपियों के संबंध में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण का चौंकाने वाला खुलासा !