हिन्दू स्वयं के साथ परिवार, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु तैयार रहें !

शत्रु सदैव युद्ध की तैयारी में होता है । ऐसी स्थिति में हिन्दुओं का भी स्वरक्षा हेतु तैयारी करना आवश्यक है । हमें किसी के साथ अन्याय नहीं करना है, अपितु राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करनी है ।

Om Certificate : गणेशोत्सव के निमित्त से ‘ओम प्रमाणपत्र’ वितरण आंदोलन को सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के शुभाशिर्वाद !

शुद्ध और सात्त्विक गणेशोत्सव मनाने के लिए तथा उसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए ‘ओम प्रतिष्ठान’ द्वारा चलाया जा रहा यह आंदोलन अत्यंत प्रशंसनीय है । ऐसा गौरवास्पद वक्तव्य सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी ने इस समय दिया ।

ज्योतिषी ईश्वर का दूत है । उसे सदैव यह भाव रखना चाहिए कि ‘मैं दैवी कार्य कर रहा हूं !’ – पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी, जीवनाडी-पट्टिका वाचक

सभी ज्योतिषी एकत्रित हुए, तो हमें एक-दूसरे से सीखने को मिलेगा तथा उससे संगठित भाव उत्पन्न होगा । ‘भगवान ने मनुष्य को ज्योतिषशास्त्र क्यों प्रदान किया होगा ?’, यह प्रश्न पूछकर हमें मूल विषय तक पहुंचना चाहिए’’

तर्पण एवं पितृतर्पण का उद्देश्य और महत्त्व !

किसी भी श्राद्धविधि में ‘तर्पण’ दिया जाता है । ‘तर्पण’ का अर्थ, उसका महत्त्व एवं प्रकार, उसका उद्देश्य, साथ ही उसे करने की पद्धति के विषय में जानकारी इस लेख में दिया है ।

श्राद्ध में भोजन कैसे परोसें ?

पितृपात्र के लिए (पितरों के पत्तल के लिए) उलटी दिशा में (घडी की सुइयों की विपरीत दिशा में) भस्म की रेखा (पिशंगी) बनाएं । श्राद्धीय ब्राह्मणों की थाली में लवण (नमक) न परोसें ।

श्राद्ध कौन करें एवं कौन न करें ?

मृत व्यक्ति के श्राद्ध कुटुंब में कौन कर सकता है एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे यह स्पष्ट होगा कि हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो प्रत्येक व्यक्ति का उसकी मृत्यु के उपरांत भी ध्यान रखता है ।

नांदीश्राद्ध (वृद्धिश्राद्ध) क्या है ? यह क्यों करते हैं ?

प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में विघ्ननिवारणार्थ श्री गणपति पूजन करते हैं । उसी प्रकार पितर एवं पितर देवताओं का (नांदीमुख इत्यादि देवताओं का) नांदीश्राद्ध करते हैं ।

पितृपक्ष में महालय श्राद्ध कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्‍त करें !

श्राद्धविधि करने से पितृदोष के कारण साधना में आनेवाली बाधाएं दूर होकर साधना में सहायता मिलती है । ‘सभी पूर्वज संतुष्‍ट हों और साधना के लिए उनके आशीर्वाद मिलें’, इसके लिए पितृपक्ष में महालय श्राद्ध करना चाहिए ।

बंगाल में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार हिन्दू समाज नहीं सहन करेगा ! – संत रामबालक दास महात्यागी

छत्तीसगढ के क्रांतिसंत रामबालक दास महात्यागी ने कहा कि, आज यदि हम नहीं जागे, तो भविष्य में हिन्दुओं की संख्या अल्प होगी; इसलिए संगठित होकर आवाज उठाएं ।

Sudha Murty : रानी कर्णावती द्वारा हुमायूं से सहायता मांगने के समय से रक्षाबंधन चालू होने का किया दावा !

सांसद सुधा मूर्ति के आपत्तिजनक पोस्ट से विवाद