अमरनाथ यात्रा छडी मुबारक समारोह के साथ समाप्त होती है

चांदी की पवित्र छडी जिसे ‘छडी मुबारक’ कहा जाता है। इन्हें भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। यह एक धार्मिक परंपरा है । यह चांदी की छडी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि इस छडी में भगवान शिव की अलौकिक शक्ति है।

हिन्दुओं पर होने वाला कोई भी प्रहार कभी सहन नहीं करेंगे ! – धनंजय महाडिक, सांसद, भाजपा

विशालगढ में हिन्दुओं के आक्रोश के पश्चात, कुछ राजनीतिक लोगों को अल्पसंख्यकों के प्रति दया आ गयी तथा वे तुरंत उनकी सहायता के लिए गढपर चले गए। इसके विपरीत कोल्हापुर शहर में जब ‘जय श्री राम’ का उद्घोष हुआ तो वहां के हिन्दू छात्रों की सहायता के लिए कोई नहीं गया।

हिन्दू धर्मविरोधियों के द्वारा किए जानेवाले दुष्प्रचार के विरुद्ध आक्रामक नीति आवश्यक ! – डॉ. भास्कर राजू वी., न्यासी, धर्ममार्गम् सेवा ट्रस्ट, तेलंगाना

ईसाई तथा इस्लामी पाखंडी हैं, जबकि वामपंथी देशद्रोही हैं । इन लोगों की विचारधारा को अस्वीकार किया जाना चाहिए । हमने उनकी झूठी कथाओं को खारीज करनेवाला ‘नैरेटिव’ तैयार करना चाहिए ।

कानून बनाने हेतु अनेक देशों ने मनुस्मृति का संदर्भ लिया ! – भारताचार्य पू. प्रा. सु.ग. शेवडेजी, राष्ट्रीय प्रवचनकार तथा कीर्तनकार, मुंबई, महाराष्ट्र

धर्म समझ लेने हेतु भगवान ने वेदों की निर्मिति की । सोना पुराना भी हुआ, तब भी उसका मूल्य न्यून नहीं होता । उसी प्रकार वेद भले ही प्राचीन हों; परंतु उनमें विद्यमान ज्ञान कालबाह्य नहीं होता । वेदों का ज्ञान शाश्वत है, यह बतानेवाले मनु पृथ्वी के पहले व्यक्ति थे मनु राजा थे । जब पाश्चात्त्यों को कपडे पहनने का भी ज्ञान नहीं था, उस समय मनु ने ‘मनुस्मृति’ लिखी ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का दूसरा दिन (२५ जून) : राष्‍ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु किए गए प्रयास

हिन्दू अपनी लडकियों को उनके बचपन में ही भगवद्गीता क्यों नहीं सिखाते ? भगवद्गीता में ‘विधर्म से स्‍वधर्म श्रेष्‍ठ है’, इसकी सीख दी गई है । यदि यह शिक्षा मिली, तो हिन्दू युवतियां लव जिहाद का शिकार नहीं बनेगी ।

‘ॐ शुद्धता प्रमाणपत्र’ आवश्यक क्यों है ?

इस प्रमाणपत्र के माध्यम से ‘हिन्दू बिक्रेता के द्वारा बेचा जानेवाला उत्पाद’ हिन्दुओं के द्वारा ही बना है’, इसकी आश्वस्तता की जानेवाली है ।

सत्य के निकट ले जानेवाला, अर्थात ही सत्-चित्-आनंद देनेवाला एकमात्र हिन्दू धर्म !

हिन्दू धर्म क्या है ?, इस विषय में विश्लेषण करनेवाला लेख,.. ‘हिन्दुओं का तत्त्वज्ञान अद्वैत अर्थात ईश्वर एवं मैं एक ही हैं’, इस अत्युच्च स्तर का !

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र अधिवेशन का पांचवां दिन (२८ जून) : उद़्‍बोधन सत्र – मंदिरों का सुव्‍यवस्‍थापन

सनातन धर्म के अर्थशास्‍त्र में मंदिरों का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है । सनातन धर्म में मंदिरों के अर्थकारण से शिक्षाप्रणाली चलाई जा रही है । मंदिरों की अर्थव्यवस्था पर गांवों की निर्मिति हो रही है ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : भारतीय शिक्षा प्रणाली !

‘कर्ता भगवान है !’, श्रीकृष्ण का यह वचन ध्यान में रखकर धर्मकार्य करें ! – रस आचार्य डॉ. धर्मयश, संस्थापक, धर्म स्थापनम् फाउंडेशन, इंडोनेशिया