कलियुग के इस घोर आपातकाल में ग्रंथनिर्मिति कर धर्मसंस्थापना का अवतारी कार्य करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जो ज्ञान विशद किया है, उसका प्रत्यक्ष आचरण कैसे किया जाए ? ईश्वरप्राप्ति के साथ ही धर्मसंस्थापना के कार्य में सहभागी होकर जीवन का उद्धार कैसे करें ?’ परात्पर गुरुदेवजी लिखित ग्रंथ एवं उनके समष्टि कार्य से यह साध्य हो रहा है । इससे उनके अवतारी कार्य की प्रतीति होती है ।

भारत की शिक्षा का स्तर बढाना आवश्यक ! – अनिल धीर, संयोजक, इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, भुवनेश्वर, ओडिशा

हमने वनवासियों से ३० सहस्र पोथियां एकत्र कीं और उन सभी को ओडिशा राज्य के संग्रहालय में भिजवा दिया । इन पोथियों में श्लोक इत्यादि नहीं थे, अपितु विमानों की निर्मिति कैसे करें ?, मंदिरों के निर्माण कार्य कैसे करें ? आदि प्रत्येक विषय पर विवरण दिया गया था ।

अधिक मास में सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ अन्यों को देकर सर्वश्रेष्ठ ज्ञानदान का फल प्राप्त करें !

‘१८.७.२०२३ से १६.८.२०२३ के समयावधि में ‘अधिक मास’ है ।’ इस मास में दान करने से उसका फल अधिक मिलता है । इसलिए इस काल में वस्त्रदान, अन्नदान व ज्ञानदान करने का विशेष महत्त्व है । भारतीय संस्कृति में ‘ज्ञानदान’ को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ।

सनातन के ग्रंथमाला – शीघ्र गुरुप्राप्ति एवं अखण्ड गुरुकृपा होने हेतु क्या करें, यह समझ लें !

कर्म, भक्ति तथा ज्ञानयोग का त्रिवेणी संगम ‘गुरुकृपायोग’, ईश्वरप्राप्ति का सरल मार्ग है । प्रस्तुत ग्रंथ में गुरुकृपायोग का महत्त्व, अन्य योगमार्गाें की तुलना में इस योगमार्ग से होनेवाली शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति ऐसे विविध अंगों के विषय में मार्गदर्शन किया गया है

सनातन के दिव्य ग्रंथों के विविध सेवाओं के लिए साधकों की आवश्यकता !

विविध भाषाओं में लिखित सामग्री को संकलित करना, मुद्रित शोधन (प्रूफ रीडिंग) तथा संरचना (फॉरमेटिंग) करने की सेवा भी उपलब्ध है । आपकी रुचि और क्षमता जिस क्षेत्र में है उसके अनुरूप आप सेवा कर सकते हैं ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के विषय में मार्गदर्शक सनातन की ग्रंथमाला : हिन्दू धर्म एवं धर्मग्रंथों का माहात्म्य

हिन्दू धर्म की निर्मिति किसने और कब की ? हिन्दू धर्म का महत्त्व क्या है तथा ‘हिन्दू’ किसे कहें ? इन प्रश्नोंके उत्तर पढिये “धर्मका मूलभूत विवेचन” इस ग्रंथ में

सनातन के मराठी एवं हिन्दी ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों से ३ जुलाई २०२३ अर्थात गुरुपूर्णिमा के दिन सनातन के मराठी एवं हिन्दी भाषा के ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण किया गया ।

सनातन का आगामी ग्रंथ

प्रस्तुत खण्ड में परात्पर गुरु डॉक्टरजी की अभ्यासवर्गाें में सिखाने की अलौकिक पद्धति, परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा अभ्यासवर्गाें में आनेवाले साधकों को चूकों का भान कराकर साधकों को साधना में आगे ले जाना इत्यादि के विषय में साधकों द्वारा कृतज्ञभाव से लिखकर दिए अनेक सूत्र समाविष्ट हैं ।

‘ई-बुक’ (हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में) स्वरूप में ग्रंथ !

हलाल प्रमाणपत्र पर आधारित एक इस्लामी अर्थव्यवस्था निर्माण करने के षड्यंत्र का विरोध करना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य ही है !

साधना प्रत्यक्ष सिखानेकी पद्धतियां

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी की सीख समझने में सरल, जीवन के छोटे-बडे उदाहरणों के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाली एवं कृति के स्तर पर साधना संबंधी मार्गदर्शन करती है ।