विद्यालय एवं महाविद्यालयों में आयोजित प्रतियोगिताओं में विजयी छात्रों को सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ पुरस्कार स्वरूप दें !

छात्रों को पुरस्कार स्वरूप सनातन द्वारा प्रकाशित ‘बालसंस्कार’ नामक ग्रंथमाला तथा अन्य ग्रंथ देने से उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित होने में सहायता मिलेगी ।

सनातन के ‘रासलीला’ ग्रंथ में राधा द्वारा श्रीकृष्ण को प्रार्थना के रूप में किया आत्मनिवेदन तथा श्रीकृष्ण द्वारा उत्तर के रूप में किया उनका मार्गदर्शन ! मार्गदर्शन पढने पर ईश्वर की कृपा से साधिका को सूझे सूत्र

परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने साधकों को ‘गुरुकृपायोग’ का साधनामार्ग बताकर ‘ईश्वरप्राप्ति’ का ध्येय दिया, जिससे साधक उनमें नहीं अटकते

सनातन के ‘देवताओं की उपासना’ ग्रन्थमाला के ग्रन्थ

श्रीकृष्ण के विविध नाम और उनका अर्थ, श्रीकृष्ण की गुण-विशेषताएं और कार्य इस संदर्भ मे पढिये ‘श्रीकृष्ण (लघुग्रन्थ)’ में

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथनिर्मिति का ध्वज फहराता रहे, इसलिए ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा श्रेष्ठ ज्ञानशक्ति के स्तर की सेवा है । इसलिए शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति करानेवाली भी है । इसलिए युवको, अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित होकर इस सुवर्ण अवसर का लाभ लो !

रक्षाबंधन के दिन बहन को चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान बढानेवाले सनातन प्रभात की पाठिका बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में सर्वत्र के हिन्दू भाईयों से आवाहन !

‘अगामी आपातकालकी संजीवनी’ ग्रंथमाला

बिन्दुदाब उपचार : शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कष्टों पर उपाय ‘सूचीदाब’ (एक्यूप्रेशर)

कलियुग के इस घोर आपातकाल में ग्रंथनिर्मिति कर धर्मसंस्थापना का अवतारी कार्य करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में जो ज्ञान विशद किया है, उसका प्रत्यक्ष आचरण कैसे किया जाए ? ईश्वरप्राप्ति के साथ ही धर्मसंस्थापना के कार्य में सहभागी होकर जीवन का उद्धार कैसे करें ?’ परात्पर गुरुदेवजी लिखित ग्रंथ एवं उनके समष्टि कार्य से यह साध्य हो रहा है । इससे उनके अवतारी कार्य की प्रतीति होती है ।

भारत की शिक्षा का स्तर बढाना आवश्यक ! – अनिल धीर, संयोजक, इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, भुवनेश्वर, ओडिशा

हमने वनवासियों से ३० सहस्र पोथियां एकत्र कीं और उन सभी को ओडिशा राज्य के संग्रहालय में भिजवा दिया । इन पोथियों में श्लोक इत्यादि नहीं थे, अपितु विमानों की निर्मिति कैसे करें ?, मंदिरों के निर्माण कार्य कैसे करें ? आदि प्रत्येक विषय पर विवरण दिया गया था ।

अधिक मास में सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ अन्यों को देकर सर्वश्रेष्ठ ज्ञानदान का फल प्राप्त करें !

‘१८.७.२०२३ से १६.८.२०२३ के समयावधि में ‘अधिक मास’ है ।’ इस मास में दान करने से उसका फल अधिक मिलता है । इसलिए इस काल में वस्त्रदान, अन्नदान व ज्ञानदान करने का विशेष महत्त्व है । भारतीय संस्कृति में ‘ज्ञानदान’ को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ।

सनातन के ग्रंथमाला – शीघ्र गुरुप्राप्ति एवं अखण्ड गुरुकृपा होने हेतु क्या करें, यह समझ लें !

कर्म, भक्ति तथा ज्ञानयोग का त्रिवेणी संगम ‘गुरुकृपायोग’, ईश्वरप्राप्ति का सरल मार्ग है । प्रस्तुत ग्रंथ में गुरुकृपायोग का महत्त्व, अन्य योगमार्गाें की तुलना में इस योगमार्ग से होनेवाली शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति ऐसे विविध अंगों के विषय में मार्गदर्शन किया गया है