‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)’ उपकरण के माध्यम से की गई वैज्ञानिक जांच
‘१४ मई २०२१ और २० जून २०२१ को दैनिक ‘सनातन प्रभात’ में ‘निर्विचार’, ‘ॐ निर्विचार’ और ‘श्री निर्विचाराय नमः’ नामजप के संदर्भ में सूचना प्रकाशित कर सर्वप्रथम उनका परिचय करवाया गया । तदनुसार साधकों ने नामजप करना आरंभ किया है । साधकों को ‘निर्विचार’ नामजप करना कठिन अनुभव हो रहा हो, तो ‘श्री निर्विचाराय नमः’ नामजप कुछ महिने प्रतिदिन अधिकाधिक समय करें । कुछ समय उपरांत यह नामजप करना संभव होने पर यही नामजप निरंतर आरंभ रखें । ‘निर्विचार’ अथवा ‘श्री निर्विचाराय नमः’ नामजप ‘गुरुकृपायोगानुसार साधनामार्ग’ का अंतिम नामजप है !’ (संदर्भ : www.sanatan.org/hindi/a/32835.html)
‘निर्विचार’ नामजप का साधकों और संतों पर होनेवाले परिणामों का विज्ञान द्वारा अध्ययन करने के लिए रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)’ उपकरण द्वारा जांच की गई । इस जांच के निरीक्षणों का विवेचन और अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण निम्नानुसार है ।
१. जांच के निरीक्षणों का विवेचन
इस जांच में तीव्र आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त ४ साधक, तीव्र आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त एवं ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तरवाले ५ साधक, आध्यात्मिक पीडारहित ३ साधक, आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसे आध्यात्मिक पीडारहित ४ साधक, १ दैवी बालिका और सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी, ऐसे कुल १७ साधक एवं १ संत सहभागी हुए । इस जांच में साधकों और संतों को १७ से २३ जून २०२१ की कालावधि में प्रतिदिन ‘निर्विचार’ नामजप १० मिनट सुनाया गया ।
१ अ. जांच में सहभागी साधकों पर ‘निर्विचार’ नामजप का सकारात्मक परिणाम होना : जांच में सहभागी साधकों पर ‘निर्विचार’ नामजप का हुआ परिणाम दर्शानेवाली सारणी निम्नानुसार है ।
१ आ. ‘यूएएस’ निरीक्षण में सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा ‘निर्विचार’ नामजप सुनने पर उनकी सकारात्मक ऊर्जा में १५ से १८ प्रतिशत वृद्धि हुई पाई जाना : इस जांच में १८, २० और २३ जून को ‘निर्विचार’ नामजप सुनने के पूर्व और १० मिनट नामजप सुनने के उपरांत सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी के छायाचित्र निकाले गए । इन सभी छायाचित्रों की ‘यूएएस’ उपकरणों द्वारा जांच की गई । सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी में नकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गई । जांच के आरंभ में सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी में अत्यधिक मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा थी और नामजप सुनने के उपरांत उनकी सकारात्मक ऊर्जा में लगभग १५ से १८ प्रतिशत वृद्धि हुई । यह निम्न सारणी द्वारा अधिक स्पष्ट होता है ।
१ इ. जांच में सहभागी साधकों और संतों पर ‘निर्विचार’ नामजप का परिणाम ४ दिन तक रहना : २३.६.२०२१ को नामजप का प्रयोग समाप्त होने के दूसरे दिन से (२४.६.२०२१ से) प्रतिदिन साधकों और संतों की मूल प्रविष्टि (Baseline Reading) के स्तर पर आने तक उपकरण द्वारा जांच की गई । इस कालावधि में उन्हें यह नामजप नहीं सुनाया गया । जांच में सहभागी सभी साधकों और संतों की ऊर्जा का स्तर २७.६.२०२१ को मूल प्रविष्टि के स्तर पर आया । इससे ध्यान में आया कि जांच में सहभागी साधकों और संतों पर ‘निर्विचार’ नामजप का परिणाम लगभग ४ दिन तक रहा ।
२. ‘निर्विचार’ नामजप के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण सूत्र
‘निर्विचार’ नामजप सुनने पर जांच में सहभागी सभी साधकों पर सकारात्मक परिणाम हुआ हो, तथापि यह नामजप किसे करना है ?, कौन न करे तथा कितने समय नामजप करे, यह समझने के लिए निम्नांकित सूत्र ध्यान में रखें ।
२ अ. आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त साधक ‘निर्विचार’ नामजप न करें; वे आध्यात्मिक स्तर के उपचारों के लिए बताया नामजप ही करें : ‘निर्विचार’ नामजप निर्गुण की ओर ले जाता है । आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त साधक द्वारा यह नामजप करने पर उसे अनिष्ट शक्तियां तीव्र विरोध कर सकती हैं । तीव्र विरोध के कारण पीडा से ग्रस्त साधक के कष्ट में तीव्र वृद्धि हो सकती है तथा उसके लिए संतों को नामजप करने हेतु समय देना होगा । इसलिए अनिष्ट शक्तियों के तीव्र, मध्यम और मंद पीडा से ग्रस्त साधक, उन्हें आध्यात्मिक स्तर पर उपचारों के लिए बताया नामजप ही करें । इन साधकों के लिए अनिष्ट शक्तियों का कष्ट समाप्त होना महत्त्वपूर्ण है । इसलिए वे आध्यात्मिक उपचारों की कालावधि पूर्ण होने पर भी आध्यात्मिक उपचारों के लिए बताए नामजपों में से कोई नामजप शेष समय आते-जाते करें ।’ (संदर्भ : www.sanatan.org/hindi/a/32835.html)
२ आ. आध्यात्मिक कष्ट से पीडित एवं ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधक उन्हें बताई गई नामजप की कालावधि में से २० प्रतिशत समय ‘निर्विचार’ नामजप करें : ‘आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त एवं ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधक उन्हें बताई गई नामजप की कुल कालावधि में से २० प्रतिशत समय में ‘निर्विचार’ नामजप कर सकते हैं ।’ (संदर्भ : www.sanatan.org/hindi/a/32835.html)
२ इ. आध्यात्मिक पीडारहित साधक ‘निर्विचार’ नामजप करने का प्रयास करें : ‘निर्विचार’ नामजप ‘निर्गुण’ स्थिति में ले जाता है । इसलिए कुलदेवता का नामजप करनेवाले साधक अथवा ६० प्रतिशत से अल्प आध्यात्मिक स्तर के साधकों के लिए यह नामजप करना कठिन हो सकता है । वे अपने नियमित नामजप के साथ यह नामजप करने का प्रयास करें । यह नामजप करना संभव होने पर निरंतर यही जप करें; क्योंकि अंतत: साधना के अगले चरण में जाकर पूर्ण समय यही नामजप करना होगा ।’ (संदर्भ : www.sanatan.org/hindi/a/32835.html)
२ ई. आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक आध्यात्मिक पीडारहित साधक ‘निर्विचार’ नामजप ही करें : ‘निर्विचार’ जप होने के लिए साधक का आध्यात्मिक स्तर न्यूनतम ६० प्रतिशत होना, अर्थात उसके मनोलय का आरंभ होना आवश्यक है । तदुपरांत वह साधक निर्विचार की स्थिति में जा सकता है । ‘निर्विचार’ नामजप ‘निर्गुण’ स्थिति में ले जाता होने से आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसे आध्यात्मिक पीडारहित साधक ‘निर्विचार’ नामजप ही करें ।’ (संदर्भ : www.sanatan.org/mr/a/79145.html)
३. ‘निर्विचार’ नामजप के प्रयोग का निष्कर्ष
‘निर्विचार’ नामजप के संदर्भ में की गई शोधपूर्ण जांच से ध्यान में आता है कि ‘निर्विचार’ जप आध्यात्मिक पीडा रहित एवं आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है, ऐसे साधकों के लिए उपयोगी है । इससे नामजप की परिणामकारकता ध्यान में आती है । इसलिए साधक नियमित नामजप सहित यह नामजप करने का प्रयास करें । इस नामजप का अभ्यास होने पर, यही जप आरंभ रखें ।
कुलदेवता की सगुण उपासना के नामजप से निर्गुण स्थिति में ले जानेवाले गुरुकृपायोगानुसार साधनामार्ग के अंतिम नामजप ‘निर्विचार’ तक साधकों की साधना यात्रा करवानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता !’
– श्रीमती मधुरा धनंजय कर्वे, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (२१.८.२०२१)
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