‘आधुनिक जीवनशैली के कारण उत्पन्न होनेवाली शारीरिक समस्याओं पर ‘व्यायाम’ एक प्रभावशाली उपाय है । प्राचीन ग्रंथों में दिया गया व्यायाम का तत्त्वज्ञान आज भी उतना ही उपयुक्त है तथा हम उससे प्रेरणा ले सकते हैं । इस लेखमाला से आज हम व्यायाम का महत्त्व, व्यायाम के विषय में शंकाओं का समाधान, ‘एर्गोनॉमिक्स’ (ergonomics) का सिद्धांत तथा बीमारी के अनुसार उचित व्यायाम की जानकारी लेंगे । व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की यह यात्रा प्रेरणादायक सिद्ध होगी । इस लेख में हम ‘बुढापे में आनेवाली समस्याएं’, ‘एल्जाइमर्स डिसीज’ क्या है ? तथा उसके उत्पन्न होने के कारणों के विषय में समझ लेंगे ।
१. वृद्धावस्था में आनेवाली शारीरिक एवं मानसिक समस्याएं
१ अ. अन्यों से निरंतर सहायता मांगने की स्थिति आना : हम सभी वृद्धावस्था नहीं चाहते । वृद्धावस्था में आयु के अनुसार आनेवाली बीमारियां, थकान, घटती जा रही स्मरणशक्ति, ये सभी शारीरिक समस्याएं तो होती ही हैं, साथ ही ‘अन्यों से निरंतर सहायता मांगने की स्थिति आना’, यह मन को सबसे अधिक यातानाएं देनेवाला विषय है । हम अन्यों से सहायता नहीं लेना चाहते । हमारे मन में ‘अन्य लोग क्या कहेंगे ?’, ‘उन्हें क्या लगेगा ?’ जैसे अनेक विचार आते हैं । उस समय ‘मन की स्थिति कैसी होती होगी ?’, इसका विचार न करना ही अच्छा !

१ आ. मस्तिष्क में स्मरणशक्ति से संबंधित क्रिया करनेवाले भाग में दोष उत्पन्न होने पर कोई बात ध्यान में रखना कठिन : हमारा मस्तिष्क सहस्रों नसों का जाल है । अनेक नसें एक-दूसरे के साथ समन्वय कर आवश्यक विद्युत आवेगों का लेन-देन करती हैं तथा उचित क्रियाएं करवा लेती हैं । प्रत्येक क्रिया हेतु मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न भाग कार्य करते हैं । ‘अन्न का पाचन तथा श्वसन’ जैसी बडी क्रियाएं तथा ‘भावनाएं व्यक्त होना, ध्यान में रहना अथवा स्मरण होना’ जैसी सूक्ष्म क्रियाओं के संदर्भ में भी ऐसा ही होता है । मस्तिष्क में स्थित स्मरणशक्ति से संबंधित क्रियाएं करनेवाले भाग में दोष उत्पन्न होने से हमें कोई बात ध्यान में रखना कठिन हो जाता है ।
१ इ. ‘एल्जाइमर्स डिसीज’ (Alzheimer’s Disease) के लक्षण : आयु के अनुसार सामान्यतः ‘विस्मरण होना’ तथा ‘विस्मरण की बीमारी होना’, ये दो भिन्न विषय हैं । आयु के अनुसार कुछ विशिष्ट सूत्र, उदा. संबंधियों के नाम, घर का पता इत्यादि जिन बातों का सदैव स्मरण रहता है, उन बातों का विस्मरण होने लगता है । इसके विपरीत विस्मरण की बीमारी होने पर कुछ क्षण पूर्व की हुई कृतियां भूल जाना, बोलते समय शब्द न सूझना, संवाद करने में समस्या आना इत्यादि अधिक तीव्र कष्ट होने लगते हैं । नित्य कृतियां, उदा. दांत मांजना, भोजन करना अथवा अन्य कृतियों का भी विस्मरण होने लगता है । ऐसे व्यक्ति को पैदल चलना, उठना, बैठना जैसी क्रियाएं करना संभव नहीं होता तथा वह व्यक्ति पूर्णरूप से अन्यों पर निर्भर हो जाता है । इस बीमारी को ‘एल्जाइमर्स डिसीज’ (Alzheimer’s Disease) कहते हैं । विस्मरण से संबंधित अनेक बीमारियों में से यह सर्वाधिक दिखाई देनेवाली बीमारी है ।
२. ‘एल्जाइमर्स डिसीज’ होने के कुछ कारण
अन्यों पर निर्भर रहने की भयावह आहट देनेवाली इस बीमारी के अनेक कारण हैं । इनमें ‘अनुचित जीवनशैली’ एक प्रमुख कारण है । अनुचित आहार अथवा उचित समय पर भोजन न करना, व्यसन, नींद पूरी न होना, बैठी जीवनशैली (शारीरिक गतिविधियां अल्प होना), साथ ही वातावरण में प्रदूषण जैसे अनेक कारणों में से कुछ प्रमुख कारण हैं । इसके साथ ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदयरोग तथा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है ।
३. वृद्धावस्था में स्मरणशक्ति का लोप होने के कारण
अ. बढती आयु के अनुसार मस्तिष्क की ओर जानेवाला रक्तप्रवाह अल्प होकर उससे मस्तिष्क का आकार तथा उसके कार्य करने की क्षमता घटती जाती है । उसके कारण प्राकृतिक रूप से नसों की निर्मिति नहीं होती ।
आ. अनेक नसों पर ‘एमीलॉइड अल्फा’ नामक प्रथिनों का आवरण आने लगता है तथा उससे वो नसें जीवित होते हुए भी काम करना बंद कर देती हैं ।
इ. विभिन्न कारणों से मस्तिष्क की नसों में सूजन आकर वे मृत होने लगती हैं ।
ई. एक ओर नसों की निर्मिति रुककर नसों का मृत होना तथा उपलब्ध नसों पर आवरण आने के कारण कार्य करनेवाले नसों की संख्या घटती जाती है ।
इन सभी कारणों से वृद्धावस्था में स्मरणशक्ति क्षीण होने लगती है ।’
४. ‘एल्जाइमर’ की बीमारी के लिए ‘व्यायाम’ ही सर्वोत्तम पर्याय है !
४ अ. ‘शारीरिक गतिविधियों एवं ध्यानपूर्वक की गई कृतियों’ से नसें शीघ्र उत्तेजित होने के कारण व्यायाम का प्रभाव गहन तथा परिणामकारक सिद्ध होना : चिकित्सकीय शोध के अनुसार ये सभी समस्याएं टालने हेतु ‘व्यायाम’ सर्वोत्तम विकल्प है । व्यायाम करने से ‘एल्जाइमर्स’ की बीमारी होने की संभावना लगभग ६० प्रतिशत से अल्प हो जाती है । इसलिए व्यायाम को सबसे प्रभावशाली माध्यम माना गया है । स्वाभाविक ही ‘शारीरिक गतिविधियां तथा ध्यानपूर्वक की गई कृतियां’ नसों को शीघ्र उत्तेजित करती हैं, जिसका प्रभाव गहन तथा परिणामकारक सिद्ध होता है, साथ ही व्यायाम से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग आदि को टालने की प्रक्रिया भी होती है, जिससे दुगुना लाभ मिलता है ।
४ आ. व्यायाम करने से ‘एल्जाइमर’ कैसे टाला जा सकता है ?
१. व्यायाम के कारण मस्तिष्क को होनेवाली रक्त की आपूर्ति बढती है, साथ ही नई रक्तवाहिनियों की निर्मिति होती है । इसके कारण बढती आयु के कारण मस्तिष्क को आवश्यक रक्त का अभाव नहीं रहता तथा उससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता बनी रहती है ।
२. आयु बढने पर कुछ रसायनों के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं में सूजन आने की प्रक्रिया होती रहती है । व्यायाम के कारण इन रसायनों के स्राव होने का स्तर अल्प होता है, जिससे कोशिकाओं में आनेवाली सूजन अल्प होकर कोशिकाओं की क्षमता बढती है ।
३. शरीर की नष्ट हो रही नसों को बनाए रखने के लिए तथा उपलब्ध नसों में नए संबंध (neuroplasticity) निर्माण होने के लिए मस्तिष्क में स्थित ‘बी.डी.एन.एफ’ (Brain Derived Neurotropic Factor) नामक रसायन कारण होता है ।
इस रसायन के कारण नसों का नवसृजन होने में सहायता मिलती है । व्यायाम करने से यह रसायन लगभग तिगुना हो जाता है । उसके कारण नसों की संख्या, गुणवत्ता तथा कार्यकुशलता बनी रहती है तथा उससे व्यक्ति की बुद्धि और तीक्ष्ण हो जाती है ।
४. बढती आयु के कारण जिससे नसों पर आवरण बनने लगता है, उस ‘एमीलॉइड अल्फा’ प्रथिन को बाहर निकालने की प्राकृतिक प्रक्रिया क्षीण होती रहती है । उसके कारण यह प्रथिन नसों को अवरुद्ध करता है । व्यायाम के कारण इस प्रथिन को बाहर निकालने की लसिका तंत्र की प्रक्रिया में सुधार आता है तथा उससे नसों पर आया आवरण ५० प्रतिशत से अधिक मात्रा में दूर होकर वे कार्य करने लगती हैं ।
५. व्यायाम के कारण ऐसी विविधांगी प्रक्रियाओं के कारण ‘एल्जाइमर’ की बीमारी होने की संभावना लगभग ६० प्रतिशत अल्प होती है । इसके लिए युवावस्था में अथवा न्यूनतम वयस्क अवस्था से नियमित व्यायाम करना होगा ।
४ इ. ‘एल्जाइमर’ से बचने हेतु व्यायाम से संबंधित ध्यान में रखने योग्य सूत्र
१. व्यायाम का आरंभ शीघ्र करें । मध्यम आयु में अथवा उससे पूर्व व्यायाम आरंभ करने से वह मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है ।
२. सप्ताह में केवल १८० से २१० मिनट तक मध्यम गति से व्यायाम (जैसे की दौडना अथवा तीव्र गति से चलना) करने से मस्तिष्क सदृढ रहता है ।
३. अनेक वर्षाें तक नियमित व्यायाम करने से अधिक लाभ होता है ।
४. हृदय की गति बढानेवाला व्यायाम (जैसे दौडना, साइकिल चलाना) तथा मांसपेशियों को मजबूत बनानेवाला व्यायाम (जैसे वजन उठाना) ये दोनों व्यायाम लाभकारी हैं ।
५. ये दोनों व्यायाम एकत्रित किए जाएं, तो उससे (हृदयवर्धक + मांसपेशियों को सुदृढ बनानेवाले) अधिक अच्छे परिणाम मिलते हैं ।
६. प्रतिदिन केवल ३० मिनट तीव्र गति से चलने का सरल व्यायाम भी मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है ।
७. व्यायाम की तीव्रता की अपेक्षा नियमितता अधिक महत्त्वपूर्ण है । तीव्रता भले ही अल्प हो, तब भी नियमित व्यायाम करने से लाभ होता ही है ।
८. एकत्रित किए गए व्यायाम अथवा खेल मस्तिष्क की कार्यक्षमता की दृष्टि से अधिक लाभकारी होते हैं ।
९. व्यायाम के साथ अच्छा आहार तथा मस्तिष्क को गति प्रदान करनेवाली दिनचर्या का पालन करने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बनी रहती है ।
४ ई. अन्य उपचारों की तुलना में व्यायाम करने से मिलनेवाले विशेष लाभ !
१. व्यायाम अल्प व्यय में किया जानेवाला तथा सभी को सहजता से संभव उपाय है ।
२. उचित ढंग से व्यायाम करने से किसी भी प्रकार के बडे दुष्परिणाम नहीं होते ।
३. मस्तिष्क के स्वास्थ्य के साथ ही हृदय का स्वास्थ्य, मन की अच्छी स्थिति (मूड) तथा हड्डियों की मजबूती के लिए भी व्यायाम से लाभ मिलता है ।
४. पूरे विश्व में ‘एल्जाइमर’ के रोगियों में से लगभग २१ प्रतिशत रोगियों को शारीरिक निष्क्रियता के कारण ‘एल्जायमर’ की बीमारी होती है; परंतु व्यायाम करने से बडे स्तर पर इस बीमारी को टाला जा सकता है ।’
– श्री. निमिष म्हात्रे, भौतिकोपचार विशेषज्ञ, फोंडा, गोवा. (५.२.२०२५)
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