स्वस्थ जीवन हेतु व्यायाम !
विश्व के आधुनिकीकरण के साथ उत्पन्न शारीरिक समस्याओं के समाधान के रूप में ‘व्यायाम’ एक प्रभावशाली माध्यम सिद्ध हुआ है । आजकल इस विषय पर बहुत चर्चा हो रही है तथा इस विषय में जागृति भी आई है; परंतु तब भी व्यायाम करनेवालों की संख्या अल्प ही दिखाई देती है । अभी भी अनेक लोगों के मन में व्यायाम के प्रति कुछ शंकाएं दिखाई देती हैं । वर्तमान समय में हो रही अनेक शारीरिक समस्याओं पर, उदा. रीढ से संबंधित बीमारियां, मधुमेह, मोटापा इत्यादि समस्याओं के समाधान के रूप में औषधीय चिकित्सा, पथ्य, उपवास जैसे अनेक विकल्प चुने जाते हैं; परंतु बिना व्यायाम के ये सभी उपाय अधूरे सिद्ध होते हैं । इस स्तंभ से हम व्यायाम के विषय में जागरूकता उत्पन्न करनेवाले हैं, उसकी आवश्यकता एवं महत्त्व की जानकारी देनेवाले हैं, साथ ही व्यायाम से संबंधित शंकाओं का समाधान भी करनेवाले हैं ।
प्रतिदिन व्यायाम करने का ध्येय सुनिश्चित करें !
‘व्यायाम करते समय हमारे शरीर को कष्ट तो होता ही है; परंतु उसके कारण शरीर को उसमें इच्छित परिवर्तन लाने की उत्तेजना मिलती है, उदा. आप यदि शारीरिक बल बढाने के लिए व्यायाम कर रहे हैं, तो आपके शरीर को मांसपेशियां सुदृढ होने की उत्तेजना मिलती है । आपका मन यदि व्यायाम करना टाल रहा है, तो उसके लिए ‘हमें प्रतिदिन व्यायाम क्यों करना है ?’ पहले इसे सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है, उदा. शारीरिक बल बढाना, पीडा अल्प करना, शारीरिक कष्ट कम करना, वजन घटाना, मन का तनाव कम कर स्वयं में उत्साह बढाना अथवा कुल मिलाकर स्वास्थ्य में सुधार लाना इत्यादि । इनमें से आपने एक भी ध्येय सुनिश्चित किया, तो वही आपको नियमित व्यायाम की प्रेरणा देगा । जब ध्येय के लिए हम कष्ट उठाते हैं, तो पीडा का कष्ट नहीं होता ।’
– श्री. निमिष म्हात्रे, भौतिकोपचार विशेतज्ञ (फीजियोथेरेपिस्ट), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा (११.८.२०२४)