देहली में पाकिस्तान उच्चायुक्तालय का विद्यालय बंद !
भारत से युद्ध कर उस पर नियंत्रण पाने का स्वप्न देखनेवाले पाक की यह स्थिति शीघ्र ही पेट पालने के लिए देश-देश में भटकने का दर्शक है !
भारत से युद्ध कर उस पर नियंत्रण पाने का स्वप्न देखनेवाले पाक की यह स्थिति शीघ्र ही पेट पालने के लिए देश-देश में भटकने का दर्शक है !
बिना परिचयपत्र के २ सहस्र रुपए के नोट बदलने के निर्णय को चुनौती देनेवाली याचिका देहली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा तथा न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद के खंडपीठ ने अस्वीकार कर दी ।
राजधानी देहली की यह घटना देहली पुलिस एवंर नागरिकों के लिए लज्जास्पद है ! देश में कहीं भी लव जिहादियों को कडा दंड नहीं दिए जाने के फलस्वरूप उनका मनोबल ऊंचा होता जा रहा है, यह सरकारी संस्थाओं के लिए लज्जास्पद है !
४० सैन्य अधिकारियों का एक दल शीघ्र ही भारतीय वायुसेना एवं नौसेना में नियुक्त किया जाएगा । यहां भी वे (अधिकारी) भूदल की भांति काम करेंगे ।
पिछले महीने भर से कुछ पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे हैं । उनकी मांगें नहीं मानी जाने पर उन्होंने २८ मई को संसद की ओर जाने का प्रयत्न किया, तो पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया ।
२८ मई को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की प्रतिमा को पुष्प अर्पण कर नमन किया । इस अवसर पर सुरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला, सांसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा आदि उपस्थित थे ।
विरोध के लिए विरोध करने हेतु नकारात्मकता की चरमसीमा पार करनेवाला राजद पक्ष ! ऐसे लोगों की बुद्धि पर जितनी भी दया की जाए, अल्प ही है !
ऐसी याचिकाओं पर ध्यान देना, यह सर्वोच्च न्यायालय का काम नहीं । इस याचिका का लाभ किसे होनेवाला है ?, ऐसा प्रश्न याचिकाकर्ता से पूछे जानेपर वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए ।
यद्यपि एम्नेस्टी संस्था पूरे विश्व में ऐसा कहती है कि वह मानवाधिकार के लिए काम करती है, तब भी समय-समय पर यह बात सामने आई है कि वह हिन्दूद्वेषी तथा भारत विरोधी कार्यवाहियां करती है । अभी भी उसकी मांगों से उसका भारतद्वेषी तथा हिन्दूद्वेषी स्वरूप सामने आया है !
२८ मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीजी के हाथों होने की अपेक्षा वह राष्ट्रपति के हाथों होना आवश्यक है, पूरे देश विपक्षी दलों ने ऐसी भूमिका अपना ली है ।