व्यायाम से मन की भी स्थिरता बढती है ।
व्यायाम से शरीर की कान्ति सुधरती है । आलस्य दूर होता है । भूख-प्यास सहने की क्षमता बढती है । मोटापा घटाने के लिए व्यायाम जैसी दूसरी औषधि नहीं । नियमित व्यायाम करनेवाले को शत्रु का भय नहीं होता ।
व्यायाम से शरीर की कान्ति सुधरती है । आलस्य दूर होता है । भूख-प्यास सहने की क्षमता बढती है । मोटापा घटाने के लिए व्यायाम जैसी दूसरी औषधि नहीं । नियमित व्यायाम करनेवाले को शत्रु का भय नहीं होता ।
आयुर्वेद में बच्चों से लेकर बडों तक सभी को अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखना चाहिए, इस विषय में प्राथमिक मार्गदर्शन किया गया है । यदि हम उन नियमों का पालन करेंगे, तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा ।
कुछ लोग रात देर तक जागरण करते हैं और पुन: सवेरे भी शीघ्र उठते हैं । कभी-कभी यह ठीक है; परंतु सदैव ही ऐसा करने पर उसका शरीर पर गंभीर दुष्परिणाम हो सकता है ।
यहां सबसे महत्त्वपूर्ण सूत्र है, रुग्ण अपने आहार-विहार में कोई परिवर्तन नहीं करता । इस कारण अम्ल पित्त का कष्ट बार-बार होता रहता है । आरंभ में पित्त बढानेवाला आहार लेने से ही अम्ल पित्त का कष्ट होता है । कुछ समय पश्चात कुछ भी खाने से अम्ल पित्त निर्मित होने लगता |
नाभि शरीर का केंद्र बिंदु होने से वहां अन्य अवयवों को जोडकर रखनेवाले बिंदुदाब के अनेक बिंदु (एक्यूप्रेशर पॉईंट्स) होते हैं । इसलिए नाभि में कुछ बूंद घी डालकर मसाज (मालिश) करने से जोडों का दर्द भी दूर हो सकता है ।
अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के प्रति अनगिनत चिंतायुक्त विचार एवं समस्याएं लेकर आते हैं, जैसे ‘डॉक्टर देखिए न, ये दूध ही नहीं पीता है । यदि दूध नहीं पीएगा, तो उसे ‘कैल्शियम’ कैसे मिलेगा ? इसकी हड्डियां कैसे सुदृढ (मजबूत) होंगी ? आज के इस लेख में हम दूध एवं दुग्धजन्य पदार्थाें के संदर्भ में जानकारी लेंगे ।
‘ठंडा अथवा मीठा खाने पर दांत झुणझुणाने की पीडा यदि बारंबार होती है, तो प्रतिदिन सवेरे चाय का एक चम्मच तिल का तेल मुंह में रखें एवं सामान्यतः ५ से १० मिनट के उपरांत थूंक दें । इससे दांत झुणझुणाना अल्प होने में सहायता होती है ।’
‘पर्याप्त आहार लेने के पश्चात भी थकान होना अथवा शक्तिहीन होने समान लगना’ इस पर आयुर्वेद के प्राथमिक उपचार
जिसका विज्ञापन करना पडे, वह अन्न है ही नहीं । क्या रोटी, चावल, दाल, देसी घी, भाजी-तरकारी आदि का विज्ञापन करना पडता है ? प्रकृति से प्राप्त व सहस्रों वर्षाें से मनुष्य जो ग्रहण करते हैं, वही है खरा अन्न
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का सफल परीक्षण ! अश्वगंधा के मॉलिक्यूल के कारण ८७% से अधिक कोरोना विषाणु नष्ट करने में सहायता होना, ऐसा संशोधन से ध्यान में आया ।