१. चमकीली त्वचा के लिए घी का योगदान बडा है । इसलिए नाभि में घी डालने से शरीर की अतिरिक्त उष्णता बाहर निकलने में सहायता होती है । फलस्वरूप चेहरे पर आई फुंसियां एवं पिंपल्स भी दूर होते हैं । कभी-कभी खाने में कुछ खट्टा होने से भी यह कष्ट अनुभूत होता है । ऐसे में शरीर के त्याज्य पदार्थ बाहर फेंकने में घी से सहायता होती है एवं उसका कुल परिणाम स्वास्थ्य के साथ त्वचा पर भी देखा जाता है ।
२. नाभि शरीर का केंद्र बिंदु होने से वहां अन्य अवयवों को जोडकर रखनेवाले बिंदुदाब के अनेक बिंदु (एक्यूप्रेशर पॉईंट्स) होते हैं । इसलिए नाभि में कुछ बूंद घी डालकर मसाज (मालिश) करने से जोडों का दर्द भी दूर हो सकता है ।
३. त्वचा के समान ही केश (बालों) में भी घी लगाने से लाभ होते हैं । इससे असमय केश (बाल) श्वेत (सफेद) होना अथवा अत्यंत सूखे होने जैसी समस्याओं का समाधान मिलने में सहायता होती है ।
४. नाभि में घी डालने से पेट एवं पेडू (पेट का निचला भाग) में होनेवाली वेदना अल्प होने में सहायता मिलती है । थोडा सा अजवाइन चूर्ण (पावडर) अथवा छोटे अजवाइन के दाने घी में मिलाकर प्रयोग में ला सकते हैं । इससे शीघ्र ही आराम मिलता है । मासिक धर्म (रजस्वला) के समय होनेवाली वेदना दूर करने के लिए घी का उपचार रामबाण सिद्ध हो सकता है । इसके लिए कुछ बूंद घी नाभि के साथ ही अपनी पेडू (पेट के नीचे का भाग) पर भी लगाकर मसाज (मालिश) कर सकते हैं ।
५. अनेक बार नहाते समय अथवा शरीर स्वच्छ करते समय नाभि की ओर स्वयं की अनदेखी होती है । ऐसे में घी से मसाज करने से उसमें विद्यमान चिकनाहट तथा गंदगी (मैल) दूर होने में सहायता मिलेगी ।
– वैद्या (श्रीमती) मुक्ता लोटलीकर (३१.७.२०२३)