निरोगी एवं दीर्घायु जीवन के लिए ‘आयुर्वेद’ !

‘रोग अथवा विकार से बचने के लिए दैनिक जीवन का आहार-विहार (क्रिया) इत्यादि कैसा हो’, यह प्रत्येक मानव को ज्ञात होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इसीके साथ विकार होने पर ‘खाने-पीने से सबंधित पथ्य-अपथ्य’ अर्थात ‘क्या खाएं और क्या न खाएं ?’ यह भी ज्ञात होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।

स्वास्थ्य संबंधी शंका-समाधान

सवेरे ११ बजे के उपरांत अल्पाहार अथवा सीधा दोपहर का भोजन करें । तब तक यदि भूख लग भी जाए, तो केवल पानी पीएं । चाय न पीएं ।

सनातन की आयुर्वेदीय औषधियां

भूख न लगना, पेट साफ न होना जैसी शिकायतों पर ‘सनातन आमलकी (आमला) चूर्ण का अभिनव प्रयोग

व्यायाम से मन की भी स्थिरता बढती है ।

व्यायाम से शरीर की कान्ति सुधरती है । आलस्य दूर होता है । भूख-प्यास सहने की क्षमता बढती है । मोटापा घटाने के लिए व्यायाम जैसी दूसरी औषधि नहीं । नियमित व्यायाम करनेवाले को शत्रु का भय नहीं होता ।

वरिष्ठ नागरिक अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें ?

आयुर्वेद में बच्चों से लेकर बडों तक सभी को अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखना चाहिए, इस विषय में प्राथमिक मार्गदर्शन किया गया है । यदि हम उन नियमों का पालन करेंगे, तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा ।

रात की नींद पूर्ण होनी चाहिए !

कुछ लोग रात देर तक जागरण करते हैं और पुन: सवेरे भी शीघ्र उठते हैं । कभी-कभी यह ठीक है; परंतु सदैव ही ऐसा करने पर उसका शरीर पर गंभीर दुष्परिणाम हो सकता है ।

अम्ल पित्त (एसिडिटी) के कष्ट से बचने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन करना अत्यावश्यक

यहां सबसे महत्त्वपूर्ण सूत्र है, रुग्ण अपने आहार-विहार में कोई परिवर्तन नहीं करता । इस कारण अम्ल पित्त का कष्ट बार-बार होता रहता है । आरंभ में पित्त बढानेवाला आहार लेने से ही अम्ल पित्त का कष्ट होता है । कुछ समय पश्चात कुछ भी खाने से अम्ल पित्त निर्मित होने लगता |

रात्रि में सोते समय नाभि में घी की कुछ बूंदें डालने से होनेवाले लाभ

नाभि शरीर का केंद्र बिंदु होने से वहां अन्य अवयवों को जोडकर रखनेवाले बिंदुदाब के अनेक बिंदु (एक्यूप्रेशर पॉईंट्स) होते हैं । इसलिए नाभि में कुछ बूंद घी डालकर मसाज (मालिश) करने से जोडों का दर्द भी दूर हो सकता है ।

दूध एवं दुग्धजन्य पदार्थ : उनके लाभ, मान्यताएं एवं अनुचित धारणाएं

अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के प्रति अनगिनत चिंतायुक्त विचार एवं समस्याएं लेकर आते हैं, जैसे ‘डॉक्टर देखिए न, ये दूध ही नहीं पीता है । यदि दूध नहीं पीएगा, तो उसे ‘कैल्शियम’ कैसे मिलेगा ? इसकी हड्डियां कैसे सुदृढ (मजबूत) होंगी ? आज के इस लेख में हम दूध एवं दुग्धजन्य पदार्थाें के संदर्भ में जानकारी लेंगे ।

दांतों में झनझनाहट पर घरेलु उपचार

‘ठंडा अथवा मीठा खाने पर दांत झुणझुणाने की पीडा यदि बारंबार होती है, तो प्रतिदिन सवेरे चाय का एक चम्मच तिल का तेल मुंह में रखें एवं सामान्यतः ५ से १० मिनट के उपरांत थूंक दें । इससे दांत झुणझुणाना अल्प होने में सहायता होती है ।’