साधको, अनमोल मनुष्य देह के रहते ही साधना एवं गुरुसेवा करना संभव होने से प्राप्त परिस्थिति में ही समर्पित होकर साधना करो !

मन में संघर्ष होते समय आए स्वप्न में, स्वयं की देह मृतावस्था में दिखाई देना, उस देह में प्रवेश करना संभव न होना तथा उस स्थिति में सेवा एवं नामजप करने का प्रयास करने पर वह करना भी संभव न हो पाना

गुरुमंत्र का महत्त्व ध्यान में लेने की अपेक्षा गुरु की देह के नाम में अटकने वाले शिष्य !

शिष्य के उद्धार के लिए गुरु शिष्य को उनकी आवश्यकता के अनुसार गुरुमंत्र के रूप में किसी देवता का नामजप करने के लिए कहते हैं ।

साधकों, वर्तमान में होनेवाले पृथक कष्टों पर विजय पाने के लिए स्वयं की साधना में वृद्धि करें !

वर्तमान में अधिकांश साधकों के शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक कष्ट बढ गए हैं । कष्टों की प्रतिदिन बढनेवाली यह मात्रा आपत्काल निकट आने को दर्शा रही है ।

व्यष्टि एवं समष्टि साधना करते समय आवश्यक प्रयास !

‘घर में हमारे साथ साक्षात भगवान हैं’, इस दृढ श्रद्धा से साधना करनी चाहिए !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का अनमोल विचारधन !

स्वयं को अज्ञानी माननेवाले ज्ञानवंत को ही भगवान की कृपा से ज्ञान का कृपा प्रसाद मिलता है !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी अध्यात्म में ऐसा कीर्तिमान बनाएंगी, जिसे कोई तोड नहीं पाएगा ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

‘कोई ऐसा भी हो सकता है, जिनके विषय में सभी को घर जैसी आत्मीयता एवं आधार प्रतीत होता है तथा जो साधकों की व्यष्टि तथा समष्टि साधना की ही नहीं, पारिवारिक समस्याएं भी सुलझा सके, ऐसी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी इतनी अद्वितीय हैं !

सप्तर्षियों द्वारा नाडीपट्टिकाओं के वाचन के माध्यम से वर्णन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में विद्यमान अवतारी देवीतत्त्व की महिमा !

अभी पृथ्वी पर तीन अवतार हैं, इसलिए देवादिकों की दृष्टि पृथ्वी की ओर होना

प.पू. भक्तराज महाराजजी की धर्मपत्नी वात्सल्यमूर्ति प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) का देहत्याग

सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी की (प.पू. बाबा की) धर्मपत्नी तथा पू. नंदू कसरेकरजी की माताजी प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) (आयु ८६ वर्ष) ने १८ सितंबर को दोपहर २ बजे नाशिक में उनके कनिष्ठ पुत्र श्री. रवींद्र कसरेकर के आवास पर देहत्याग किया ।

सनातन के कार्य को भर-भरकर आशीर्वाद देनेवालीं प.पू. भक्तराज महाराजजी की धर्मपत्नी प.पू. श्रीमती (स्व.) सुशीला दिनकर कसरेकरजी !

आयु के १७ वें वर्ष में विवाह होने के उपरांत उन्होंने जीवनभर प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) जैसे उच्च कोटि के संत की गृहस्थी संभालने का कठिन शिवधनुष्य उठाया । प.पू. जीजी की साधना अत्यंत कठिन थी ।