बांसुरीवादन के द्वारा संगीत साधना, क्रियायोग की ध्यानसाधना तथा चिन्मय मिशन की ज्ञानसाधना के आनंद की निरंतर अनुभूति लेनेवाले बांसुरीवादक पंडित हिमांशु नंदा !

भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार श्री गुरु शिष्य पर क्रोधित होते हैं और आवश्यकता पडने पर गालियां भी देते हैं; परंतु शिष्य को उसका बुरा नहीं लगता । अन्य किसी ने गाली दी, तो क्रोध आएगा; परंतु श्री गुरु ने गाली दी, तो शिष्य कहता है, ‘यह तो श्री गुरु की कृपा हुई !’ यही शिष्य का समर्पण है ।

वाराणसी आश्रम के प्रति कृतज्ञभाव में रहनेवाले सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति में भी धर्मप्रसार का कार्य अत्यंत लगन से करनेवाले, प्रेमभाव से हिन्दुत्वनिष्ठों से निकटता साधनेवाले एवं विनम्र वृत्ति के हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी २९.६.२०२२ को सद्गुरुपद पर विराजमान हुए ।

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की अमृतवाणी !

चैतन्य का ही महत्त्व होने से उसके द्वारा ही कार्य करना । सनातन धर्म का प्रचार ही चैतन्य का प्रचार है !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी द्वारा लिए जा रहे दैवी ‘भाववृद्धि सत्संगों’ की सद्गुरु द्वारा वर्णित महिमा !

आश्विन अमावस्या (२५.९.२०२२) को श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी का जन्मदिवस है । इस उपलक्ष्य में…

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा साधकों को साधना के आरंभ में कुलदेवता की उपासना करने के लिए कहकर उनसे आदिशक्ति की उपासना करवा लेना !

‘सनातन संस्था के माध्यम से साधक जब साधना करने लगे, उस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने पहले साधकों को उनकी कुलदेवता की उपासना करने के लिए कहा और सभी साधकों से उनकी कुलदेवता का नामस्मरण करवा लिया ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के पाद्यपूजन समारोह के समय श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को प्राप्त अनुभूतियां !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों पर ‘ॐ ऐं क्लीं श्रीं श्रीं श्रीं सच्चिदानन्द-परब्रह्मणे नमः ।’ मंत्रजप करते हुए पुष्पार्चना करते समय ‘प्रत्येक फूल में विद्यमान प्राण जागृत हुआ है’, ऐसा प्रतीत हो रहा था ।

ठाणे के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. निषाद बाक्रे ने अवलोकन किया महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय का कार्य !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय का कार्य समझ लेने के लिए आए पं. निषाद बाक्रे ने रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम का भी अवलोकन कर वहां का कार्य समझ लिया ।

प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. निषाद बाकरे द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘भूप’ राग के गायन का संतों, साथ ही आध्यात्मिक कष्ट से ग्रस्त तथा कष्टरहित साधकों पर हुआ परिणाम

इस प्रयोग के समय पं. बाक्रे को तबले पर गोवा के प्रसिद्ध तबलावादक डॉ. उदय कुलकर्णी तथा संवादिनी पर (हार्माेनियम पर) श्री. दत्तराज म्हाळशी ने संगत की ।

दायित्व लेकर सेवा करते समय स्वयं में होनेवाले अहं का निरीक्षण करने के संदर्भ में ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर की कु. मधुरा भोसले द्वारा बताए गए मार्गदर्शक सूत्र !

यदि अन्य साधकों ने हमारी चूक बताई, तो तुरंत हमें स्वीकार करना चाहिए । ऐसा किया, तो ही अपना अहं न्यून होता है । इसके विपरित यदि हमने उसका ‘स्पष्टीकरण दिया, तो यह बात ध्यान में रखें कि, हमारा अहं बढा हुआ है अथवा कार्यरत हुआ है ।’

साधकों पर आनेवाला अनिष्ट शक्तियों का आवरण निकालने की एक लाभदायक पद्धति !

आवरण निकालते समय बिना प्रदीप्त सनातन की सात्त्विक उदबत्ती का उपयोग करें । उसे अपने जिस चक्र का आवरण निकालना है, उससे घडी के कांटे की दिशा से तथा घडी के कांटे की विपरीत दिशा से इस प्रकार दोनों ओर से तीन बार घुमाएं ।