रास्तों के बीचोंबीच मजारें बनाई जाएंगी, तो सभ्य समाज वहां कैसे रहेगा ?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली की आप सरकार को फटकारा !

(मजार अर्थात इस्लामी पीर अथवा फकीरों की समाधि)

नई दिल्ली – दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते समय यहां के भजनपुरा और हसनपुर डीपो भागों में रास्तों पर अवैध ढंग से निर्माण की गई मजारों के विषय में अप्रसन्नता व्यक्त की । साथ ही न्यायालय ने दिल्ली सरकार और अन्य विभागोें को नोटिस भेजकर पूछा, ‘यदि रास्तों के बीचोंबीच इस प्रकार का धार्मिक ढांचा (मजार) बनाया जाएगा, तो सभ्य समाज वहां कैसे रहेगा ?’

याचिकाकर्ता एस.डी. विंडलेश ने बताया कि इन दोनों मजारों के कारण यातायात पर परिणाम होता है और नागरिकों को परेशानी होती है । उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार इन मजारों को हटाने का आदेश देना चाहिए, ऐसी मांग की है । (मूलत: ऐसी मांग क्यों करनी पडती है ? इस प्रकार का अवैध निर्माण कार्य होते समय सरकार, प्रशासन सो रहे थे क्या ? और इसके बाद भी इस पर कार्यवाही कैसे नहीं की जाती ? इसके लिए उत्तरदायी लोगों पर कठोर कार्यवाही करना आवश्यक है ! – संपादक) इस पर दिल्ली सरकार ने न्यायालय में बताया कि अवैध निर्माण कार्य पर कार्यवाही करने के संबंध में याचिका उच्चतम न्यायालय में प्रलंबित है ।

सरकार मूकदर्शक कैसे रह सकती है ? – दिल्ली उच्च न्यायालय

न्यायालय ने याचिका में कहा कि हमें यह नहीं समझ आता कि सरकार इस मामले पर मूकदर्शक कैसे रह सकती है ? और ऐसे अवैध निर्माण कैसे होने दिए जाते हैं ? हमारे मतानुसार ऐसे प्रकरणों में राज्य सरकार ने एक स्पष्ट, निश्चित और दृढ नियम बनाने चाहिए । इस प्रकार के अतिक्रमण सहन नहीं किए जाएंगे, ऐसा संदेश अतिक्रमण करनेवालों को दिया जाना चाहिए और तत्काल अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए । साथ ही ऐसों पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही होनी चाहिए ।

संपादकीय भूमिका

न्यायालय को सरकार के कान ऐंठने के साथ ऐसे निर्माण कार्य को सहमति देनेवालों पर भी कार्यवाही करनी चाहिए, ऐसी जनता की अपेक्षा है !