ज्ञानवापी मस्जिद से हिन्दुओं के धार्मिक चिह्न नष्ट किए जा रहे हैं !

हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन का गंभीर आरोप !

अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन

वाराणसी (उत्तरप्रदेश) – ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में इसके पूर्व १९९६ में सर्वेक्षण किया गया था । उस समय भी न्यायालय के निर्देशानुसार पूर्ण सर्वेक्षण नहीं हुआ, परंतु उसका लेखाजोखा न्यायालय को सुपूर्द किया गया था । उस समय मस्जिद में हिन्दुओं के मंदिर से संबंधित चिह्न मिले थे, परंतु ‘वहां मंदिर था, ‘यह ध्यान में न आए इसलिए वे चिह्न नष्ट किए जा रहे हैं, यह मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं, काशी विश्वनाथ मंदिर एवं ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण के हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता पू. हरि शंकर जैन ने ‘आज तक’ वृत्तवाहिनी से बातें करते हुए ऐसा कहा । वाराणसी के दिवानी न्यायालय के निर्देशानुसार शृंगारगौरी एवं ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण एवं चित्रीकरण का निर्देश देने पर भी मुसलमानों द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का विरोध करने से न्यायालय आयुक्त और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को वापस जाना पडा था । इस संदर्भ में पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन को पूछने पर उन्होंने उपर्युक्त बातें कहीं ।

ज्ञानवापी मस्जिद के भीतरी भाग का सर्वेक्षण होने पर स्पष्ट होगा कि पहले वहां मंदिर था !

पू. (अधिवक्ता) हरिशंकर जैन ने बताया कि मस्जिद के बाहर से किए सर्वेक्षण से हमें वहां मन्दिर होने के चिह्न मिले थे । मस्जिद की भीत पर २ बडे स्वस्तिक मिले थे, साथ ही खण्डित मूर्ति के भाग मिले । कुछ पत्थर पर देवताओं के चित्र रेखांकित किए हुए मिले । जब मस्जिद के भीतरी भाग का सर्वेक्षण होगा, तब वहां मंदिर होने के और प्रमाण मिलेंगे, इस पर हमें पूर्ण विश्वास है । हमें आशा है कि इस समय सर्वेक्षण पूर्ण होगा । हम पूर्ण क्षमता से हमारा युद्ध कर रहे हैं और काशी विश्वनाथ को मुक्त करके ही रहेंगे ।

असदुद्दीन ओवैसी जानबूझकर अज्ञानी बन रहे हैं !

एम.आय.एम. के अध्यक्ष एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सर्वेक्षण का विरोध करते हुए धार्मिक स्थल अधिनियम १९९१ का उल्लेख किया था । इस विषय में पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन ने कहा कि एक तो उन्हें कुछ भी ज्ञात नहीं, अथवा ज्ञात होने पर भी अज्ञानी होने का दिखावा कर रहे हैं । इस विधान में किसी भी धार्मिक स्थल के साथ छेडछाड का विरोध किया गया है । ज्ञानवापी मस्जिद का स्वरूप पहले से ही मंदिर रहा है । वर्ष १९९० तक ज्ञानवापी मस्जिद के तलघर में पूजा होती थी । मस्जिद के चारों भागों में देवताओं की पूजा होती थी । जब मुलायम सिंह यादव की सरकार सत्ता में थी, तब भी वहां पूजा होती थी । आज भी व्यास परिवार की ओर मस्जिद के तलघर में अर्थात जहां मुख्य मंदिर है वहां जाकर पूजा करने का अधिकार है । धार्मिक स्थल अधिनियम के कारण हम हमारे मंदिर को आक्रमणकर्ताओं के नियंत्रण से छुडाने की लडाई छोड नहीं सकते हैं ।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि, कुतुबमीनार, ताजमहल, भोजशाला आदि वास्तु भी मुक्त करेंगे !

हमारी सूची में केवल ज्ञानवापी ही नहीं, अपितु मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, कुतुबमीनार, ताजमहल और मध्यप्रदेश की भोजशाला भी हैं । इसके लिए कितना भी समय लगे, हम लडाई लडते रहेंगे, पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैन ने ऐसा भी कहा है !

संपादकीय भूमिका

पू. (अधिवक्ता) जैन का यह आरोप अत्यंत गम्भीर है ! ऐसा है तो सरकार को हस्तक्षेप करके सत्य उजागर करना आवश्यक है !