स्वयं के अपराधों की जानकारी छुपाने से एकाध व्यक्ति को नौकरी से निलंबित नहीं किया जा सकता ! – सर्वोच्च न्यायालय

नई देहली – स्वयं के अपराधों की जानकरी छुपाई अथवा गलत जानकरी दी, तो एकाध व्यक्ति को एकाएक नोकरी से निलंबित नहीं किया जा सकता, ऐसा निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के खंडपिठ ने दिया । इस प्रकरण में देहली उच्च न्यायालय का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है ।

१. न्यायालय ने कहा है कि ‘‘एकाध व्यक्ति परिवाद में दोषी है अथवा नहीं, इसका विचार करने के स्थान पर केवल उसके विरुद्ध अपराध की जानकारी छुपाई, इसलिए एकाएक किसी को भी नौकरी पर से हटाया नहीं जा सकता; परंतु नौकरी करने से पूर्व प्रत्येक को स्वयं के चरित्र के विषय में वास्तविक जानकारी और जांच प्रस्तुत करना आवश्यक है । नौकरी के पूर्व यदि कोई व्यक्ति उसके परिवाद के संदर्भ में जानकारी छुपाता है, तो उसके चरित्र के बारे में पूर्वपीठिका एवं वास्तविकता समझकर उसे नौकरी में रखना है, अथवा किस प्रकार का काम देना है, इस विषय में रोजगार-दाता को सेवा नियमों का पालन कर निर्णय लेना होगा ।

२. पवनकुमार नामक व्यक्ति का रेल सुरक्षादल में सिपाही के रूप में चयन किया गया था । प्रशिक्षण आरंभ था, तब एकाएक उसे निलंबित किए जाने का आदेश रेल सुरक्षा दल के प्रशासन द्वारा दिया गया । भर्ती होने के पूर्व उसने अपराधों की जानकारी छुपाई, इसलिए उसके विरुद्ध कार्रवाई की गई, ऐसा स्पष्टीकरण प्रशासन द्वारा न्यायालय में दिया गया था ।

३. तब न्यायालय ने कहा कि ‘‘पवनकुमार के विरुद्ध परिवाद का स्वरूप नगण्य है । गैरसमझ के कारण यह परिवाद किया गया था । इसलिए उसको नौकरी से निकाल देने का प्रशासन का निर्णय अनुचित है । उस निर्णय को उचित ठहरानेवाला देहली उच्च न्यायालय का निर्णय भी गलत है । इसलिए उसको (निर्णय को) रहित कर रहे हैं ।