नवग्रहों की उपासना करने का उद्देश्य एवं उनका महत्त्व !

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रह-दोष निवारण के लिए ग्रहदेवता की उपासना बताई जाती है । इस लेख द्वारा उपासना का उद्देश्य व उसका महत्त्व समझ लेंगे ।

ज्योतिषशास्त्रानुसार रत्न धारण करने का महत्त्व

ज्योतिषशास्त्र में ग्रहदोषों के निवारण के लिए रत्नों का उपयोग किया जाता है । रत्न धारण करने के पीछे का उद्देश्य एवं उनका उपयोग इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

शनि ग्रह की ‘साढे साती’ आध्यात्मिक जीवन को गति देनेवाली अवधि है !

‘शनि ग्रह की ‘साढे साती’ कहते ही सामान्यतः हमें भय लगता है । ‘मेरा बुरा समय आरंभ होगा, संकटों की शृंखला आरंभ होगी’, इत्यादि विचार मन में आते हैं; परंतु साढे साती सर्वथा अनिष्ट नहीं होती । इस लेख द्वारा ‘साढे साती क्या है तथा साढे साती की अवधि में हमें क्या लाभ हो सकता है’, इसकी जानकारी लेंगे ।

इच्छित कार्य शुभमुहूर्त पर करने का महत्त्व

हमारे दैनिक जीवन में मुहूर्ताें का संबंध समय-समय पर आता है । ‘मुहूर्त’ संबंधी प्राथमिक जानकारी इस लेख के माध्यम से समझ लेते हैं ।

तिथि का महत्त्व एवं व्यक्ति की जन्मतिथि निश्चित करने की पद्धति

‘भारतीय कालमापन पद्धति में ‘तिथि’ का महत्त्व है; परंतु वर्तमान में ‘ग्रेगोरीयन’ (यूरोपीय) कालगणना के अनुसार भारत में तिथि का उपयोग व्यवहार में न करते हुए केवल धार्मिक कार्य के लिए ही होता है । प्रस्तुत लेख द्वारा तिथि का महत्त्व एवं व्यक्ति की जन्मतिथि निश्चित करने की पद्धति समझ लेंगे ।

जन्मपत्रिका बनाने का महत्त्व समझें !

हिन्दू समाज में शिशु का जन्म होने पर ज्योतिष से शिशु की जन्मपत्रिका बनवाई जाती है । अनेक लोगों को उत्सुकता होगी कि इस पत्रिका में क्या जानकारी होती है । इस लेख द्वारा ‘जन्मपत्रिका क्या है तथा पत्रिका में कौन-सी जानकारी अंतर्भूत होती है’, इसकी जानकारी लेंगे ।

मंगलदोष – धारणाएं एवं गलतधारणाएं

‘विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों में मंगलदोष का विचार किया जाता है । अनेक बार व्यक्ति का विवाह केवल ‘मंगलदोष है’ इसलिए सहजता से मिलान नहीं होता ।