मंगलदोष – धारणाएं एवं गलतधारणाएं

‘विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों में मंगलदोष का विचार किया जाता है । अनेक बार व्यक्ति का विवाह केवल ‘मंगलदोष है’ इसलिए सहजता से मिलान नहीं होता । मंगलदोष के विषय में समाज में गलतधारणा दिखाई देती है, यद्यपि उसकी मात्रा न्यून हो रही है । मंगलदोष संबंधी धारणा एवं गलतधारणा, इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

१. मंगलदोष क्या है ?

व्यक्ति की जन्मकुंडली में १, ४, ७, ८ एवं १२, इन स्थानों में मंगल ग्रह होने से कुंडली में ‘मंगलदोष’ होता है । वैवाहिक जीवन के लिए इसे कष्टदायक माना जाता है । वैवाहिक जीवन में स्त्री एवं पुरुष का भावनात्मक संबंध प्रेममय होना आवश्यक होता है । इसलिए जीवन में सौख्य (सुख) मिलता है । सौख्य, ‘पृथ्वी’ एवं ‘आप’ तत्त्वों से संबंधित है । (पृथ्वी तत्त्व ‘स्थैर्य’ (स्थिरता) प्रदान करता है और आपतत्त्व ‘आनंद’ (हर्ष) प्रदान करता है; इसलिए जीवन में सौख्य रहता है ।) इसके विपरीत मंगल ग्रह ‘अग्नितत्त्व’ का होता है और उसके प्रबल होने से वह सौख्य के लिए मारक सिद्ध होता है । क्रोध, अहंकार, कलह, दुर्घटना, विच्छेद इत्यादि मंगल ग्रह के अनिष्ट परिणाम हैं ।

२. मंगलदोष के कारण होनेवाली हानि

‘मंगलदोष के कारण अधिकतर विवाह मिलान में अडचनें आने से विवाह होने में विलंब होता है’, ऐसा अनुभव है ।’ इसके साथ ही मंगल ग्रह कुंडली में जिस स्थान पर होगा, उस स्थान से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं । मंगल ग्रह प्रथम स्थान में होने से व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक होना, चतुर्थ स्थान में होने से पारिवारिक सुख न मिलना, सप्तम स्थान में होने से पति-पत्नी में अनबन, अष्टम स्थान में होने से दुर्घटना के प्रसंग आना एवं बारहवें स्थान में होने से आर्थिक अथवा स्वास्थ्य की हानि होना, ऐसे परिणाम सामान्यतः होते हैं; परंतु ऐसे परिणाम मिलना, यह ‘कुंडली में मंगल ग्रह कितना बलवान है ? एवं उनसे अन्य ग्रहों का योग कैसा है ?’, इस पर निर्भर होता है । इसलिए जिसे मंगलदोष है, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को तीव्र अनिष्ट फल मिलेंगे ही, ऐसा कदापि नहीं है ।

३. ‘क्या कुंडली में मंगलदोष है ?’ इसकी ज्योतिष से निश्चिति करें !

श्री. राज कर्वे

कुंडली के १, ४, ७, ८ एवं १२, इन स्थानों में विद्यमान मंगल ग्रह बलवान न होने से उसके परिणाम सौम्य होते हैं । पंचांग में ऐसे अनेक अपवाद दिए हैं, जिससे मंगलदोष ग्राह्य नहीं माना जाता, उदा. मंगल का उसके नीच राशि में (कर्क राशि में) होना, मंगल मिथुन अथवा कन्या राशि में होना, मंगल पर शुभ ग्रह की दृष्टि होना इत्यादि । इन अपवादों के कारण मंगलदोष से युक्त ६० से ७० प्रतिशत जन्मकुंडलियों में मंगलदोष सौम्य होता है । इसलिए मंगलदोष के संदर्भ में ‘कुंडली में वास्तव में दोष हैं ?’ इसकी ज्योतिष से निश्चिति कर लें ।

४. उपाय करने से क्या मंगलदोष नष्ट होता है ?

कुंडली में प्रबल मंगलदोष होने पर मंगल ग्रह की शांति एवं जप किया जाता है । इस उपाय से मंगल ग्रह का दूषित प्रभाव अल्प होकर विवाह-मिलान व उसके निर्विघ्न संपन्न होने में सहायता मिलती है । शांति एवं जप का परिणाम ५ से ६ माह टिकता है । शांति एवं जप से मंगलदोष सदा के लिए नष्ट नहीं हो जाते; क्योंकि ग्रहदोष हमारे द्वारा पूर्वजन्मों में किए अनुचित कर्माें का लेखा-जोखा है ।

५. मंगलदोष होने से व्यक्ति को ध्यान रखने योग्य बातें

मंगलदोष अधिकतर वैवाहिक जीवन में कष्टदायक होने से व्यक्ति को संयम एवं सहनशीलता बढाना आवश्यक होता है । दूसरों को समझना, उनके मतों का आदर करना, स्वयं ही सहायता करना, खुले मन से बोलना आदि गुण बढाने के प्रयास करने पर वैवाहिक जीवन सुखमय होगा । इसके साथ ही परिवारजनों को समय देना, आर्थिक निर्णय विचारपूर्वक लेना और शस्त्र, यंत्र, वाहन इ. वस्तुओं का सावधानी से उपयोग करना आवश्यक है ।’

– श्री. राज कर्वे, ज्योतिष विशारद, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (२१.११.२०२२)