परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एवं श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के भ्रूमध्य पर दैवी चिन्ह अंकित होने का अध्यात्मशास्त्र !

आध्यात्मिक गुरुओं का कार्य जब ज्ञानशक्ति के बल पर चल रहा होता है, तब उनके सहस्रारचक्र की ओर ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह आता है और वह उनके आज्ञाचक्र के द्वारा वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है ।

अल्प आयु में अत्यधिक प्रगल्भ विचारोंवाली फोंडा (गोवा) की ६६ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. श्रिया राजंदेकर (आयु १० वर्ष) !

‘प्रत्येक को उनके कर्माें का फल और प्रारब्ध भोगकर कब प्रगति करनी है ?’, यह बात भगवान द्वारा निश्चित की गई है । हम उसमें कुछ नहीं कर सकते । हमें उनकी ओर साक्षीभाव से देखना होगा ।

अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र को दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया एक है । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है । इस वर्ष ३ मई २०२२ को अक्षय तृतीया हैं ।

विवाहोत्तर कुछ विधियां

बारात के घर आते ही वर-वधू के ऊपर दही-चावल फेरकर फेंके जाते हैं । घर में प्रवेश करते समय वधू प्रवेशद्वार पर रखे चावल से भरे पात्र को दाएं पैर के अंगूठे से लुढकाकर घर में प्रवेश करती है । तत्पश्चात लक्ष्मीपूजन कर वधू को ससुराल का नया नाम दिया जाता है ।

विवाहसंस्कार शास्त्र एवं वर्तमान अनुचित प्रथाएं

वधू को पिता के घर से अपने घर ले जाना अर्थात ‘विवाह’ अथवा ‘उद्वाह’ है । विवाह अर्थात पाणिग्रहण, अर्थात वर द्वारा स्त्री को अपनी पत्नी बनाने के लिए उसका हाथ पकडना । पुरुष स्त्री का हाथ पकडता है; इसलिए विवाह उपरांत स्त्री पुरुष के घर जाए । पुरुष का स्त्री के घर जाना अनुचित है ।

विवाह समारोह में क्या नहीं करना चाहिए एवं विवाह समारोह कैसा होना चाहिए ?

पूर्वकाल में हिन्दुओं के विवाह समारोह धार्मिक रूप से संपन्न होते थे । वर-वधू को देवालय के चैतन्य का लाभ प्राप्त होने की दृष्टि से विवाहसंस्कार देवालय में करने की भी परंपरा थी । वर्तमान में हिन्दुओं को लगता है कि विवाह समारोह एक मौजमस्ती का कार्यक्रम है ।

विवाहपत्रिका

समाज पर भोगवाद के प्रभाव के कारण विवाह विधि अनेकों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है । इस कारण धन पानी की भांति बहाया जाता है । इस अपव्यय का प्रारंभ विवाह की निमंत्रण पत्रिका से होता है ।

शोध के माध्यम से संपूर्ण मानवजाति को अनमोल धरोहर उपलब्ध करानेवाले ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ को चित्रीकरण हेतु उपयुक्त सामग्री की आवश्यकता !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ वैज्ञानिक परिभाषा में आध्यात्मिक शोध करने हेतु अद्वितीय कार्य करनेवाली संस्था है । इस विश्वविद्यालय के कुछ साधक संतों के मार्गदर्शन में विविध स्थानों पर यात्रा कर भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर संग्रहित कर रहे हैं ।

देवताओं की उपासना हेतु प्रेरित करनेवाली सनातन की ग्रंथमाला !

स्तोत्र में देवता की स्तुति सहित पाठ करनेवालों के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्माण करने की शक्ति भी होती है । स्तोत्रों की फलश्रुति के संदर्भ में रचयिता के संकल्प के कारण, स्तोत्रपाठ से इच्छापूर्ति, वैभव, पापनाश आदि फलप्राप्ति होती है !

गुडी पडवा है संकल्पशक्ति के मुहूर्त का प्रतीक !

गुडी पडवा हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है । इस दिन से हिन्दुओं का नववर्ष का आरंभ होता है । इस दिन पृथ्वीतल पर ब्रह्माजी एवं विष्णुजी का तत्त्व बडी मात्रा में कार्यरत होता है ।