रक्षा (राखी) बंधन

अ. ‘पाताल के बलि राजा के हाथ पर राखी बांधकर, लक्ष्मी ने उन्हें अपना भाई बनाया एवं नारायण को मुक्त करवाया । वह दिन था श्रावण पूर्णिमा ।’

कोरोना विषाणुके प्रादुर्भाव में उत्पन्न आपातकालीन स्थिति में ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ की पूजा कैसे करें ?

‘कोरोना विषाणुआें से प्रभावित क्षेत्रों में जहां संचार बंदी (लॉकडाउन) है, वहां एकत्र आकर पूजा करना संभव नहीं होगा । प्रति वर्ष अनेक स्थानों पर ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है ।

इस वर्ष रक्षाबंधन पर भारतीय राखियों का ही उपयोग करें ! – ‘कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ का आवाहन

देश का सबसे बडा व्‍यापारी संगठन ‘कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ ने आनेवाले ३ अगस्‍त को रक्षाबंधन के लिए देशवासियों से चीनी बनावटवाली राखियों का उपयोग न करने का आवाहन किया है ।

‘कोरोना’ विषाणु के फैलाव से उत्‍पन्‍न आपातकालीन स्‍थिति में ‘नागपंचमी’ की पूजा कैसे करें ?

‘नागों से हमारे परिजनों की सदैव रक्षा हो तथा नागदेवता की कृपा हो’, इस हेतु प्रति वर्ष श्रावण शुक्‍ल पंचमी अर्थात नागपंचमी को नागदेवता की पूजा की जाती है । इस वर्ष नागपंचमी २५.७.२०२० को है ।

नागपंचमी

इतिहास : सर्पयज्ञ करनेवाले जनमेजय राजा को आस्तिक नामक ऋषि ने प्रसन्न कर लिया था । जनमेजय ने जब उनसे वर मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने सर्पयज्ञ रोकने का वर मांगा एवं जिस दिन जनमेजय ने सर्पयज्ञ रोका, उस दिन पंचमी थी ।

सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्त्वाधान में ११ भाषाओंओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सवों’ का आयोजन !

भारतीय संस्कृति की ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ मानवजाति को हिन्दू धर्म द्वारा दी गई अद्वितीय देन है । राष्ट्र और धर्म पर संकट आने पर धर्मसंस्थापना का कार्य ‘गुरु-शिष्य’ परंपरा ने किया है । गुरुपूर्णिमा के निमित्त इस महान गुरु-शिष्य परंपरा का स्मरण करना आवश्यक है ।

चातुर्मास्य (चातुर्मास)

आषाढ शुक्ल पक्ष एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तक अथवा आषाढ पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक चार माह के काल को ‘चातुर्मास’ कहते हैं । अनेक स्त्रियां चातुर्मास में एक या दो अनाजों पर ही निर्वाह करती हैं । उनमें से कुछ पंचामृत का त्याग करती हैं, तो कुछ एकभुक्त रहती हैं ।