गुडी पडवा है संकल्पशक्ति के मुहूर्त का प्रतीक !

चैत्र शुक्ल १ (२ अप्रैल २०२२)

     गुडी पडवा हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है । इस दिन से हिन्दुओं का नववर्ष का आरंभ होता है । इस दिन पृथ्वीतल पर ब्रह्माजी एवं विष्णुजी का तत्त्व बडी मात्रा में कार्यरत होता है । इसी दिन प्रभु श्रीराम अपना वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे और तब प्रजाजनों ने अपने घरों के सामने ब्रह्मध्वज (गुडी) खडे कर उनका स्वागत किया । तब से गुडी खडी की जाती है । इस दिन बडी मात्रा में प्रजापति तरंगें कार्यरत होती हैं । इन तरंगों के माध्यम से प्रत्यक्ष ईश्वर का तत्त्व कार्यरत होता है । इस दिन रामतत्त्व १००० गुना कार्यरत रहता है । गुडी के माध्यम से कार्यरत ईश्वर की शक्ति जीव के लिए लाभदायक होती है ।

     (संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘त्योहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’)

ब्रह्मध्वज स्थापना के समय की जानेवाली सामूहिक प्रतिज्ञा एवं प्रार्थना

     गुडी पडवा हिन्दुओं की सफलता और विजयोत्सव का दिन है । इस शुभमुहूर्त पर की गई प्रतिज्ञा (संकल्प) एवं प्रार्थना फलीभूत होती है; इसलिए यह प्रतिज्ञा और प्रार्थना करें ।

प्रतिज्ञा

१. ‘हम समस्त हिन्दू इस शुभमुहूर्त पर केवल भारत में ही नहीं, अपितु संपूर्ण पृथ्वी पर हिन्दू धर्म प्रस्थापित कर अखिल मनुष्यजाति के लिए सुसंस्कृत एवं सुख-समृद्धि से युक्त जीवन प्रदान करने का निश्चय करते हैं ।

२. हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हम सदैव ही ढाल बनकर खडे होंगे ।

३. व्यष्टि साधना अर्थात नामजपादि धर्माचरण करेंगे और समष्टि साधना अर्थात राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा कर हिन्दू धर्म की ध्वजा संपूर्ण विश्व में फहराएंगे ।’

     ऐसी हम ब्रह्मध्वज के सामने प्रतिज्ञा करते हैं ।

प्रार्थना

     ‘हे ब्रह्माजी एवं हे प्रतिपालक श्रीविष्णु, इस ब्रह्मध्वज के माध्यम से वातावरण में विद्यमान प्रजापति, सूर्य एवं सात्त्विक तरंगें हम ग्रहण कर पाएं । उनसे मिलनेवाली शक्ति में विद्यमान चैतन्य हममें निरंतर बना रहकर उस शक्ति का उपयोग हमारे द्वारा साधना हेतु, साथ ही राष्ट्र एवं धर्म के कार्य के लिए किया जाए, यही आपके चरणों में प्रार्थना है !’