वास्तुदोष निवारण हेतु संपन्न किए गए रत्नसंस्कार अनुष्ठान से संबंधित शोधकार्य !

रत्नसंस्कार अनुष्ठान करने से वास्तु पर सकारात्मक परिणाम होते हैं, यह इस शोध से प्रमाणित हुआ । इस शोध के अंतर्गत किए गए परीक्षणों में प्राप्त निरीक्षणों का विवेचन इस लेख में दिया गया है

अक्षय तृतीया के अवसर पर उससे संबंधित धार्मिक कृत्य कैसे करें एवं उसका लाभ क्या है ?

हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से एक है वैशाख शुक्ल तृतीया । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है । इस वर्ष अक्षय तृतीया १० मई २०२४ को हैं ।

श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं !

श्रीराम नवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है । इस बढे हुए तत्त्व का लाभ लेने हेतु श्रीराम नवमी के दिन ‘श्रीराम जय राम जय जय राम ’ नामजप तथा प्रार्थना एवं श्रीराम की अन्य उपासना अधिकाधिक करें ।

श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती के निमित्त उनके विषय में कुछ विशेष जानकारी…

देवताओं एवं अवतारों की जन्मतिथि पर उनका तत्त्व भूतल पर अधिक सक्रिय रहता है । श्रीरामनवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है ।

श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ, साथ ही श्रीराम का नामजप करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक; परंतु स्तोत्रपाठ की तुलना में नामजप का परिणाम अधिक

‘श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करना तथा श्रीराम का नामजप करना तथा करनेवाले पर उसका क्या परिणाम होता है ?’, इसका विज्ञान द्वारा अध्ययन करने हेतु ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा से परीक्षण किए गए ।

हिन्दू नववर्षारंभ (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में रामराज्य स्थापित करने का संकल्प करें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश

हिन्दुओं की अद्वितीय कालगणना की पद्धति की अलौकिकता का वर्णन करनेवाला…नवसंवत्सरारंभ !

जैसे हिन्दुओं का कोई भी त्योहार मौज-मस्ती का विषय नहीं, अपितु मंगलता, पवित्रता, चैतन्य एवं आनंद का समारोह है, वैसे ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी है ! इसकी एक और विशेषता यह है कि यह काल का प्रत्यक्ष भान कराकर जीव को अधिकाधिक अंतर्मुख बना देता है !

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर वर्षारंभ करने के प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण

ज्योतिष-शास्त्र अनुसार संवत्सरारंभ के आस-पास ही सूर्य वसंतविषुव (Vernal Equinox) पर आता है एवं वसंत ऋतु आरंभ होती है अर्थात सूर्य भ्रूमध्यरेखा को पार करता है तथा दिन-रात का मान समान होता है ।

होली

इस वर्ष २४ मार्च को होली है । होली के दिन अग्निदेवता का तत्त्व २ प्रतिशत कार्यरत रहता है । इस दिन अग्निदेवता की पूजा करने से व्यक्ति को तेजतत्त्व का लाभ होता है ।

आचारों का पालन करना ही अध्यात्म की नींव है ।

प्राचीन काल में तुलसी जी को जल चढाकर वंदन किया जाता था; परन्तु आज अनेक लोगों के घर तुलसीवृन्दावन भी नहीं होता । प्राचीन काल में सायंकाल दीपक जलाकर ईश्वर के समक्ष स्तोत्र पठन किया जाता था; परन्तु आज सायंकाल बच्चे दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने में मग्न रहते हैं ।