यज्ञदत्तात्रेय क्षेत्र जुज्जूरु (आंध्र प्रदेश) में ‘ज्योतिष्ठोम अग्निष्टोम यज्ञ’ संपन्न !

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति !

मद्दुरी अंजनेय सोमयाजी को ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ का निमंत्रण देती हुई श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी, पीछे मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा एवं उनकी पत्नी श्रीमती बालात्रिपुरसुंदरी

जुज्जूरु (आंध्र प्रदेश) – इसे यज्ञदत्तात्रेय क्षेत्र के रूप में जाना जाता है । २१ मार्च से ३ अप्रैल २०२५ की अवधि में यहां ‘ज्योतिष्ठोम अग्निष्टोम यज्ञ’ संपन्न हुआ । इस यज्ञ का उद्देश्य है कि ‘कलुषित बनी भूमि, जल, वायु, आकाश तथा निसर्ग वेदमंत्रों सहित किए जा रहे यज्ञकर्म से शुद्ध हों ।’ यह यज्ञ करने से मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा तथा उनकी पत्नी श्रीमती बालात्रिपुरसुंदरी को क्रमशः ‘सोमयाजी’ एवं ‘सोमपिथीनी’, यह पद प्राप्त होनेवाला है ।

मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा तथा उनकी श्रीमती बालात्रिपुरसुंदरी ने सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी को आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था । उसके अनुसार २ अप्रैल को श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी इस यज्ञ में उपस्थित थीं । इस अवसर पर उपस्थित ब्रह्मवृंद ने उन्हें वेदमंत्रयुक्त आशीर्वाद दिया । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने इस यज्ञ के यजमान मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा एवं श्रीमती बालात्रिपुरसुंदरी का यथोचित सम्मान किया । इस अवसर पर यज्ञ के गुरु, मुख्य आचार्य तथा मद्दुरी माधव शर्मा के पिता मद्दुरी अंजनेय सोमयाजी ने श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को सम्मानित किया । इस अवसर पर श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने यज्ञ के यजमान मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा को १७ से १९ मई की अवधि में गोवा में होनेवाले ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में आने का निमंत्रण दिया । (६.४.२०२५)

मद्दुरी माधव शर्मा का परिचय

मद्दुरी माधव शर्मा

मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा आंध्र प्रदेश के जुज्जूरु गांव के हैं । उनके परिवार में विगत ४ पीढियों से ‘अग्निहोत्री’ परंपरा चलती आ रही है । मद्दुरी वेंकट माधव शर्मा ने विगत ३५ वर्षाें से तिरुपति के श्रीपद्मावतीदेवी के मंदिर में वेदमंत्र के पाठ की सेवा की है । मद्दुरी वेंकट शर्मा सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी को स्वास्थ्यमय दीर्घायु प्राप्त होने हेतु पद्मावतीदेवी के गर्भगृह में बैठकर मंत्रपाठ करते हैं ।