Bhagwan Jagannath Temple : पुरी (ओडिशा) के भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज का कुछ भाग लेकर उड़ता हुआ दिखाई दिया गरुड़ पक्षी

देश में शुभ घटना घटने की संभावना, कुछ भक्तों का मत

गरुड़ पक्षी मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज का कुछ भाग पंजे में लेकर उड़ता हुआ दिखाई दे रहा है

पुरी (ओडिशा) – भगवान जगन्नाथ मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ है, जिसमें एक गरुड़ पक्षी मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज का कुछ भाग पंजे में लेकर उड़ता हुआ दिखाई दे रहा है । यह दृश्य देखकर कुछ भक्तों का मानना है कि देश में कोई शुभ घटना घटने वाली है, जबकि कुछ लोगों ने इसके विपरीत, किसी अशुभ घटना की आशंका व्यक्त की है । वर्ष २०२० में बिजली गिरने के कारण मंदिर के ध्वज में आग लग गई थी, जिसके बाद देश को कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा था – लोग इसे स्मरण कर रहे हैं ।

८०० वर्ष पुराने इस जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज सदैव हवा की विपरीत दिशा में लहराता है । यहां प्रतिदिन ध्वज बदला जाता है तथा यह परंपरा सदियों से निरंतर चल रही है । ऐसा कहा जाता है कि यदि यह परंपरा बंद हुई, तो मंदिर १८ वर्षों तक बंद रहेगा । ऐसी स्थिति में अगर मंदिर के द्वार खोले गए, तो कोई आपत्ति आ सकती है – ऐसी भी मान्यता है ।

पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के ध्वज को गरुड़ द्वारा उठाकर ले जाना और उसी समय हैदराबाद में श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजली गाडगीळजी को वहां के श्री जगन्नाथ मंदिर के नीलचक्र का प्रकाशमान रूप दिखाई देना – इन दोनों घटनाओं के पीछे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के दिव्य संकेत हैं

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी

“१२ अप्रैल २०२५ के दिन, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारीणी श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजली मुकुल गाडगीळजी के साथ हम साधक हैदराबाद की यात्रा कर रहे थे । उस समय वहां हमें पुरी (ओडिशा) के श्री जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति स्वरूप एक मंदिर दिखाई दिया ।

श्री वाल्मिक भुकन

जैसे ही श्रीचित्शक्ति (सौ.) गाडगीळजी ने उस मंदिर की ओर देखा, उनकी दृष्टि मंदिर के शिखर पर स्थित नीलचक्र पर पड़ी । उस क्षण वह नीलचक्र अत्यंत प्रकाशमान दिखाई दे रहा था । इसके तुरंत बाद हमें यह ज्ञात हुआ कि उसी समय पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर का ध्वज गरुड़ पक्षी द्वारा ले जाया जा रहा था । यह ध्वज उसी नीलचक्र के पास लगाया जाता है तथा सदैव फहराता रहता है । श्रीचित्शक्ति (सौ.) गाडगीळजी को हैदराबाद स्थित मंदिर के नीलचक्र का प्रकाशमान स्वरूप दिखाई देना तथा उसी क्षण पुरी के मंदिर से ध्वज का गरुड़ द्वारा उड़ाकर ले जाया जाना – इन दोनों घटनाओं के पीछे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के दिव्य संकेत छुपे हुए हैं, यह बात ध्यान में आई ।”

– श्री वाल्मिक भुकन, चेन्नई