रेल गाडी यदि विलंब से चल रही हो, तो यात्रियों को क्षतिपूर्ति दी जाए ! – सर्वोच्च न्यायालय

स्वतंत्रता के ७४ वर्षों में, सरकारी तंत्र एवं भारतीय जनता द्वारा समय का महत्व न समझना एवं उसपर आग्रही न होना ; यह भारत के पिछडेपन का एक कारण है, यह भारतीयों के लिए लज्जाजनक !

भले ही बडे विक्रेता स्वयं के पास मादक पदार्थ न रखते हो, उनके विरुद्ध की गई कार्यवाही उचित ही है ! – पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

मादक पदार्थों के विक्रेता की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत, आवेदन न्यायालय ने निरस्त की !

कितने प्रकरणों में अभियुक्तों को दंडित कर पाए ? – सुप्रीम कोर्ट का सीबीआई से प्रश्न 

कितने प्रकरणों में अन्वेषण तंत्रों (जांच एजेंसियों) ने निर्दोषों को बंदी बना कर उन्हें प्रताडित किया है, इसकी जानकारी भी लेनी चाहिए । लोगों को यह भी लगता है कि, ऐसा करने वाले संबंधित अधिकारियों को दंड मिलना चाहिए !

कोरोना काल में तबलीगी जमात से संबंधित समाचार धर्म विरोधी थे, इसलिए, देश का नाम मलिन हो सकता है  ! – सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा, ‘क्या समाचार जालस्थल (न्यूज वेबसाइट्स) एवं समाचार वाहिनियों के लिए कोई नियामक नियंत्रण तंत्र है ?

उच्चतम न्यायालय के ९ न्यायाधीशों ने एक ही समय पर शपथ ली !

पहली बार ही इतना बडा शपथ ग्रहण समारोह हुआ । इन ९ न्यायाधीशों में ३ महिला न्यायाधीश सम्मिलित हैं ।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता सम्मानित

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने गंगा नदी के रक्षणार्थ कार्य किया । इसलिए उन्हें ‘उत्तर प्रदेश रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया ।

जनप्रतिनिधियों का विधिमंडल में आचरण और न्यायसंस्था की सजगता !

हाल ही में महाराष्ट्र में दो दिवसीय वर्षाकालीन अधिवेशन हुआ । सभापति को गालियां देना और धमकियां देना आदि घटनाएं घटित हुईं । इसलिए सभापति ने विरोधी दल के १२ विधायकों की सदस्यता एक वर्ष के लिए निलंबित की ।

‘स्वतंत्रता दिवस’ के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा राष्ट्रध्वज का सम्मान करने के संदर्भ में जागरुकता !

१५ अगस्त के दिन प्लास्टिक एवं कागज के झंडे के प्रयोग से राष्ट्रध्वज का होनेवाला अनादर रोकने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने तथा समाज में इस संदर्भ में जागृति लाने के लिए ‘राष्ट्र्रध्वज का सम्मान करें !’

आजीवन कारावास की सजा काट रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को जमानत के लिए स्वास्थ्य रिपोर्ट प्रस्तुत करने का उच्चतम न्यायालय का आदेश

आजीवन कारावास की सजा काट रहे दोषी को जमानत किस लिए ? इसके विपरीत सहस्रों नागरिकों की हत्या करने वाले को तो फांसी की सजा होनी चाहिए थी !

‘यदि त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं है, तो पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत यौन उत्पीडन अपराध नहीं है’, यह मुंबई उच्च न्यायालय का निर्णय परिवर्तित करें !

एक वर्ष में इतनी बडी संख्या में छोटी युवतियों का होने वाला यौन शोषण भारत के लिए लज्जाजनक है !