सर्वोच्च न्यायालय में केंद्र सरकार की मांग !
नई दिल्ली – एक अवयस्क युवती के अंतर्गत अवयवों को बिना उसके कपडे उतारे स्पर्श करना, कानून के अंतर्गत यौन-उत्पीडन का अपराध है । मान लीजिए, कल सर्जिकल दस्ताने (शस्त्रक्रिया के समय पहने जाने वाले दस्ताने) पहनकर कोई व्यक्ति अवयस्क युवती के पूरे शरीर को स्पर्श करता है, तो इस निर्णय के अनुसार उसे यौन उत्पीडन के लिए दंड नहीं दिया जाएगा । यह अपमानजनक है । त्वचा से त्वचा का संपर्क आवश्यक है, जिसका अर्थ है कि, जो कोई भी दस्ताने पहनता है, उसे निरपराध छोड दिया जाएगा । मुंबई उच्च न्यायालय ने इसके दूरगामी परिणामों पर विचार नहीं किया है, ऐसा कहते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पॉक्सो कानून के अंतर्गत यौन उत्पीडन के एक प्रकरण में मुंबई उच्च न्यायालय का निर्णय निरस्त करने का अनुरोध केंद्र सरकार की ओर से किया है ।
Bombay HC order on 'skin-to-skin contact' for POSCO offences is 'outrageous', AG tells SC https://t.co/vrVlL4NN71
— The Times Of India (@timesofindia) August 25, 2021
मुंबई उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया था कि, ‘आरोपी एवं पीडिता के मध्य ‘त्वचा से त्वचा’ अर्थात त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ है, तो यौन उत्पीडन पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत अपराध नहीं है ।’ गत वर्ष पॉक्सो कानून के अंतर्गत ४३ सहस्र प्रकरण प्रविष्ट किए गए थे । (एक वर्ष में इतनी बडी संख्या में छोटी युवतियों का होने वाला यौन शोषण भारत के लिए लज्जाजनक है ! – संपादक)