कितने प्रकरणों में अभियुक्तों को दंडित कर पाए ? – सुप्रीम कोर्ट का सीबीआई से प्रश्न 

४ सप्ताह में कुल प्रकरणों में प्राप्त सफलता एवं विफलता की जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश !

  • न्यायालय को यह क्यों पूछना पडता है ? अपनी कार्यक्षमता के संबंध में सीबीआई स्वयं ही प्रयास क्यों नहीं करती ? – संपादक

  • कितने प्रकरणों में अन्वेषण तंत्रों (जांच एजेंसियों) ने निर्दोषों को बंदी बना कर उन्हें प्रताडित किया है, इसकी जानकारी भी लेनी चाहिए । लोगों को यह भी लगता है कि, ऐसा करने वाले संबंधित अधिकारियों को दंड मिलना चाहिए ! – संपादक

नई दिल्ली – ‘हम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे प्रकरणों का विवरण जानना चाहते हैं । हमें इस बात की जानकारी चाहिए, कि सीबीआई कितने प्रकरण लड रहा है, कितने प्रकरण कनिष्ठ न्यायालयों में लंबित हैं तथा कनिष्ठ एवं उच्च न्यायालयों में चलाए गए कितने प्रकरणों में सफलता एवं असफलता प्राप्त हुई हैं । हम देखना चाहते हैं कि प्रविष्ट प्रकरणों में सीबीआई का औसत सफलता दर क्या है’, ऐसा बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को प्रकरणों के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया । न्यायालय ने ४ सप्ताहों में यह जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा है । एक प्रकरण में, सीबीआई ने ५४२ दिनों के पश्चात निर्णय को चुनौती देते हुए याचिका प्रविष्ट की थी । न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया ।

१. उस समय सीबीआई की ओर से तर्क-वितर्क कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा, कि भारत में प्रकरणों की व्यवस्था ऐसी है, कि यहां एक जांच तंत्र की कार्यक्षमता को उसकी सफलता दर से नहीं आंका जा सकता है ।

२. इस पर न्यायालय ने कहा, कि संपूर्ण संसार में ऐसी ही पद्धति से किसी तंत्र का मूल्यांकन किया जा रहा है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत में सीबीआई पर यह पद्धति लागू नहीं की जानी चाहिए । एक जांच तंत्र की कार्यक्षमता केवल इस बात से आंकी जा सकती है, कि वह कितने प्रकरण अंतिम चरण में ले गया है ।

३. न्यायालय ने पूछा, “सीबीआई का न्यायिक लडाई तंत्र और अधिक सक्षम कैसे बनाया जा सकता है ? हम जानना चाहते हैं कि ‘समस्या कहां है’ । आपने उसे दूर करने लिए क्या प्रयास किए हैं ? आपको अपना ‘घर’ सुधारना होगा ।”