मद्रास उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय से क्षमा याचना की !

उच्चतम न्यायालय के निर्देश देने के उपरांत भी एक याचिका को ६ वर्षों तक निलंबित रखने का प्रकरण !

अभिव्यक्ति की तुलना में धार्मिकता महत्त्वपूर्ण !

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में कहा कि ‘धार्मिक भावना, प्रतीक, श्रद्धाकेंद्रों का सम्मान करना आवश्यक है, वहां अभिव्यक्ति स्वतंत्रता लागू नहीं होती ।’

न्यायालय में निर्दाेष; परंतु न्यायालय के जालस्थल (वेबसाइट) पर आरोपी ही !

फौजदारी अपराधों में निर्दोष छूटने पर भी न्यायालय की प्रविष्टि और ‘गूगल’ जैसे ‘सर्च इंजिन’ पर उस व्यक्ति के सभी आरोपों की जानकारी प्राप्त होती है । इसलिए वह निर्दाेष होते हुए भी उसकी मानहानि होती है ।

आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों के लिए, आरक्षण की शर्त होने वाली ८ लाख रुपए की वार्षिक आय सीमा की संख्या क्या आपने हवा से निकाली है ? – सर्वोच्च न्यायालय का केंद्र सरकार से प्रश्न 

न्यायालय के आदेश के पश्चात भी यदि ऐसे मंद गति से काम हो रहा है, तो कोई कल्पना कर सकता है कि सामान्य व्यक्तियों के काम का क्या होता होगा !

हिन्दुओं की धार्मिक संस्थाओं में केवल हिन्दुओं को नौकरी देने का नियम होते हुए भी मुसलमान युवकों की नौकरी के लिए मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका

कितने हिन्दू मुसलमानों की धार्मिक संस्थाओं में नौकरी के लिए अरजी लगाते हैं और उनको नौकरी दी जाती है ? नौकरी ना दिए जाने पर कितने हिन्दू इस प्रकार से न्यायालय में जाकर जवाब मांगते हैं ?

किसानों को आंदोलन करने का अधिकार है ; परंतु, वे रास्तों को रोक नहीं सकते ! – सर्वोच्च न्यायालय ने किसानों को फटकारा 

नागरिकों को ऐसी शिकायत प्रविष्ट करने के लिए न्यायालय क्यों जाना पडता है ? प्रशासन, पुलिस एवं सरकार के यह ध्यान में क्यों नहीं आता ? अथवा वे जानबूझकर इसे अनदेखा कर रहे हैं तथा लोगों को कष्ट सहन करने के लिए बाध्य कर रहे हैं ?

बलात्कार पीडिता पर अन्याय करनेवाला गुवाहाटी उच्च न्यायालय का निर्णय !

सच में तो घृणास्पद अभियोगवाले अभियुक्त को प्रतिभू न मिले तथा उसे अधिक से अधिक कडा दंड मिले, इसके लिए शासन आगे आए और सर्वाेच्च न्यायालय में जाकर पीडिता के अधिकारों की रक्षा करे ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने की सर्वोच्च न्यायालय के अतिरिक्त महाधिवक्ता एन्. व्यंकटरमण से सदिच्छा भेंट !

जो धर्म व धर्मसंस्थापना के लिए कार्य करते हैं, उन्हें कष्ट सहने ही पडते हैं । प्रभु श्रीराम को भी वनवास हुआ, पांडवों को भी दु:ख भोगने पडे, तब भी उन्होंने धर्मसंस्थापना का कार्य पूर्ण किया ।

केंद्र सरकार को भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण, श्रीमद्भगवद्गीता आदि को सम्मान देने के लिए संसद में कानून बनाना चाहिए ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय की सूचना

न्यायालय को आपसे यह क्यों कहना पड़ता है? सरकार को इसे स्वयं समझना चाहिए! हिंदू धर्म, देवताओं, शास्त्रों आदि को सम्मान दिलाने के लिए, भारत को एक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है !