केंद्र सरकार को भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण, श्रीमद्भगवद्गीता आदि को सम्मान देने के लिए संसद में कानून बनाना चाहिए ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय की सूचना

न्यायालय को आपसे यह क्यों कहना पड़ता है? सरकार को इसे स्वयं समझना चाहिए ! हिंदू धर्म, देवताओं, शास्त्रों आदि को सम्मान दिलाने के लिए, भारत को एक ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है !– संपादक

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण, साथ ही रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि और महर्षि व्यास देश की सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग हैं। देश की संसद में इस संबंध में कानून पारित कर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र को यह निर्देश दिया है।

१. फेसबुक पर भगवान श्रीराम और भगवान कृष्ण के संबंध में आपत्तिजनक भाषा में संदेश पोस्ट करने वाले आकाश जाटव को न्यायालय ने जमानत देते समय उपरोक्त टिप्पणी की । जाटव पिछले १० महीने से इस अभियोग  में कारावास में बंद था । इस बार उसे  जमानत मिल गई ।

२. इस अवसर पर न्यायमूर्ति शेखर यादव ने कहा कि आरोपियों द्वारा भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण जैसे महान पूज्य व्यक्तियों के संबंध में की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों ने देश के अधिकांश नागरिकों की आस्था को आघात पहुंचाया है। इससे देश की शांति और सद्भाव को खतरा होता है और निष्पाप नागरिकों को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है।  इसके अतिरिक्त यदि न्यायालय ऐसे प्रकरणों में कठोर रुख नहीं अपनाते हैं, तो ऐसे लोगों का दुस्साहस बढ़ेगा और इससे देश के सद्भाव को ठेस पहुंचेगी ।

३. न्यायमूर्ति शेखर यादव ने आगे कहा कि देश का संविधान एक संप्रभु और स्वतंत्र नियमावली है । वास्तव में प्रत्येक नागरिक को ईश्वर में विश्वास करने या न करने की स्वतंत्रता है । तथापि जो नागरिक ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं, वे ईश्वर के प्रति आपत्तिजनक छवियों की निर्मिति कर उन्हें प्रसारित नहीं कर सकते ।