सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक अलौकिक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी : श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के अध्यात्म के असामान्य अधिकार को बहुत पहले ही पहचान लेनेवाले महान गुरु सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी तथा उनकी बातें सत्य प्रमाणित करनेवालीं महान श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में संपन्न आनंददायक समारोह के समय भावसागर में ओतप्रोत साधिका के द्वारा अनुभव किए गए दिव्य क्षण !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी के ५५ वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में एक समारोह संपन्न हुआ । इस समारोह में उपस्थित श्रीमती अनुराधा निकम द्वारा अनुभव किए गए भावक्षण आगे दिए हैं –

साधना में विहंगम मार्ग से प्रगति करनेवाली एकमात्र श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

वर्ष २००८ से वर्ष २०२२ की अवधि में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के छायााचित्रों में आए परिवर्तनों के द्वारा उजागर हुई उनकी दैवी यात्रा !

मन एवं बुद्धि से परे अर्थात सूक्ष्म को जानने की तीव्र क्षमता रखनेवाली श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

साधकों को श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी में विद्यमान दिव्यता की हुई प्रतीति !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ईश्वर स्वरूप तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर स्वरूप हैं’, साधिका को हुई इसकी प्रतीति !

‘एक बार मैं एक सूत्र के संदर्भ में बात करने के लिए श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के पास गई थी । हमारी बात समाप्त होने पर उन्होंने मुझसे कहा, ‘‘अब तुम चिंता न करो, अच्छी सेवा करो; परमेश्वर की आरती !’’ उस समय मुझे आश्चर्य होकर आनंद हुआ ।

लेखको, ग्रंथ में संस्कृत श्लोकों के साथ उनका अर्थ भी विशद किया गया, तो सर्वसामान्य पाठकों को उससे बोध होगा ! 

वर्तमान समय में संस्कृत भाषा प्रचलित न होने के कारण सर्वसामान्य लोगों को उन संस्कृत श्लोकों के अर्थ समझ में नहीं आते । इसलिए लेखक अपने लेख में श्लोकों के साथ उनका अर्थ भी स्पष्ट करें, तो पाठकों को उसका अधिक लाभ मिलेगा ।’

साधको, दुर्घटनाओं से रक्षा होने हेतु प्रतिदिन नामजपादि उपचार करें !

‘सनातन का राष्ट्र एवं धर्मजागृति का कार्य जैसे-जैसे बढ रहा है, वैसे-वैसे अनिष्ट शक्तियां इस कार्य में बाधाएं उत्पन्न करने के लिए बडे स्तर पर कार्यरत हो गई हैं ।

भगवान के द्वारा इस वर्ष अनेक साधकों का आध्यात्मिक स्तर उतना ही रखने के कारणों के पीछे की गुरुदेवजी की कृपा का रहस्योद्घाटन !

‘प्रतिवर्ष गुरुपूर्णिमा के दिन आत्मोन्नतिदर्शक सारणी प्रकाशित होती है । इस सारणी में गुरुदेवजी सूक्ष्म से अवलोकन कर ‘६० प्रतिशत तथा उससे अधिक आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधकों का आध्यात्मिक स्तर कितना प्रतिशत है ?’, यह बताते हैं ।

साधना के प्राथमिक चरण में अध्यात्म की सैद्धांतिक जानकारी देनेवाले तथा उसके अगले चरण में प्रत्यक्ष साधना सिखानेवाले सनातन के ग्रंथ !

साधना किए हुए व्यक्ति के द्वारा लिखे ग्रंथ पढना उचित रहेगा । बिना साधना किए केवल पांडित्य के आधार पर लिखे गए ग्रंथों के कारण ग्रंथ के लेखक तथा पाठक इन दोनों के ही जीवन व्यर्थ हो जाते हैं ।