१. मानसिक
कथा एवं प्रवचन जैसे माध्यमों से केवल वैचारिक स्तर पर अध्यात्म बताना तथा ग्रहण करना मानसिक स्तर का होता है । वर्तमान समय की शैक्षिक पद्धति के अनुसार अध्यात्म सीखने का यह स्तर ‘बालवाडी’ स्तर का है ।
२. बौद्धिक
अध्यात्म में स्थित सूक्ष्मताएं तथा उसके विभिन्न पहलुओं का बौद्धिक स्तर पर अध्ययन करना अध्यात्म सीखने का माध्यमिक स्तर होता है ।
३. आध्यात्मिक
प्रायोगिक स्तर पर अध्यात्म जीना अर्थात प्रत्यक्ष साधना करना अध्यात्म सीखने का महत्त्वपूर्ण चरण होता है । वर्तमान शैक्षिक पद्धति के अनुसार अध्यात्म का यह पाठ्यक्रम ‘स्नातक’ स्तर का होता है ।
सनातन संस्था साधकों को इन तीनों स्तरों के अनुसार साधना सिखाती है । उसके कारण साधकों की आध्यात्मिक उन्नति तीव्रगति से होती है ।
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले