उत्तर प्रदेश एवं असम में ‘मदरसा बंदी’ : मुसलमानों को धार्मिक कट्टरता से बाहर निकालने का उपाय !
वास्तव में देखा जाए, तो इसमें अनुचित कुछ भी नहीं है; क्योंकि केवल धार्मिक शिक्षा देना आज के समय में तो कालबाह्य हो चुका है । उसमें भी मदरसों में दी जानेवाली शिक्षा केवल कुरआन के तत्त्वों तथा पैगंबर द्वारा उनके जीवनकाल में विभिन्न विषयों पर किए गए भाष्य तक ही सीमित होती है ।