उत्तर प्रदेश एवं असम में ‘मदरसा बंदी’ : मुसलमानों को धार्मिक कट्टरता से बाहर निकालने का उपाय !

वास्तव में देखा जाए, तो इसमें अनुचित कुछ भी नहीं है; क्योंकि केवल धार्मिक शिक्षा देना आज के समय में तो कालबाह्य हो चुका है । उसमें भी मदरसों में दी जानेवाली शिक्षा केवल कुरआन के तत्त्वों तथा पैगंबर द्वारा उनके जीवनकाल में विभिन्न विषयों पर किए गए भाष्य तक ही सीमित होती है ।

चीन का अपमानजनक पद्धति से पीछे हटना, सामरिक एवं राजनीतिक दृष्टि से भारत की बडी विजय !

चीन की सेना का पीछे हटना, ‘पुल आउट’ (बाहर निकलना) नहीं, अपितु भारत की ओर से उसे दिया हुआ ‘पुश बैक’ (पीछे ढकेलना)

नाक से संबंधित बीमारियां तथा उनकी चिकित्सा !!

आज के समय में शहरों में सर्दी लगने का प्रमुख कारण है प्रदूषण ! इसे टालना भले ही संभव न हो; परंतु उसका कुछ तो प्रतिकार किया जाना चाहिए ! वह किया जा सकता है तथा उसके टिके रहने के भी अनेक कारण हैं ।

#Ayurved …आहार कब और कैसे लेना चाहिए ?

ति मात्रा में लिया गया आहार तुरंत ही वात, पित्त एवं कफ, इन तीनों दोषों में प्रकोप लाता है । दोषों के प्रकोप का अर्थ है उनकी समानाव्यस्था का बिगडना तथा बीमारी उत्पन्न होने का आरंभ !

#Ayurved : पहले खाए गए आहार का पाचन न होते हुए भी लगनेवाली भूख झूठी होती है !

झूठी भूख को सच समझकर भोजन करने से शरीर में विष के समान पदार्थ बन जाते हैं । कालांतर में ये पदार्थ विकार उत्पन्न करते हैं अथवा विकार को बढाते हैं । उसके कारण पहले दिन के आहार का पूर्णरूप से पाचन होने के लक्षण दिखे बिना सवेरे का आहार लेना टालना चाहिए ।

#Ayurved : भूख लगने से पूर्व खाना हानिकारक है !

अधिकांश लोगों को दिन में जब-तब आते-जाते सेव, चिवडा, मिठाई, सूखे मेवे आदि मुंह में डालने की आदत होती है । स्वास्थ्य की दृष्टि से इस आदत को गंभीरतापूर्वक छोडना आवश्यक है । ऐसे पदार्थ आहार लेने के निर्धारित समय में ही खाने चाहिए ।

#Ayurved : पहले दिन के आहार का पाचन होने के लक्षण

सवेरे जागने पर अधोवात एवं मल-मूत्र का विसर्जन होना, छाती में भारीपन न होना, शरीर के दोषों का अपने मार्ग से चले जाना, उदा. डकार आना, अधोमार्ग से वायु का निःसारण होना डकार का शुद्ध होना

#Ayurved : भोजन की मात्रा सुनिश्चित करने में संतुष्टि का महत्त्व !

भोजन की मात्रा सुनिश्चित करते समय संतुष्टि का बडा महत्त्व है । भोजन करने के उपरांत मिलनेवाली विशिष्ट प्रकार की संतुष्टि है तृप्ति! जब भोजन में समाहित मुख्य पदार्थ लघु (पाचन में हल्के) हों, उदा. दाल-चावल, चावल की रोटी; ऐसे समय में मन तृप्त होने तक भोजन करें ।

घर की खेती (रोपण) के अंतर्गत वनस्पतियों के पत्ते एवं फूलों से बनाई जा सकनेवाली चाय के विभिन्न विकल्प

सामान्य चाय के दुष्परिणाम होने से अनेक लोगों को ‘चाय पीना बंद करना चाहिए’, ऐसा लगता है; परंतु ‘चाय का कोई अन्य विकल्प होना चाहिए’, ऐसा भी लगता है । ऐसे लोगों के लिए घर की खेती के अंतर्गत फूल-पत्तियों से बनाई जानेवाली चाय के ये विकल्प उपलब्ध हैं ।

#Ayurved : रात में जागरण क्यों नहीं करना चाहिए ?

रात में जागरण करने से शरीर की धातुओं में सूखापन बढता है । उसके कारण शरीर में स्थित जलीय अंश के अर्थात आप महाभूत के अंश क्षीण हो जाते हैं ।