‘ट्विटर’की ‘चिडिया ’ मुक्त हुई !

विश्वप्रसिद्ध ‘टेस्ला’ आस्थापन के स्वामी इलॉन मस्क ने ‘ट्विटर’, इस सामाजिक माध्यम का बहुचर्चित क्रय-अनुबंध अंतत: पूरा कर उसका आधिपत्य ले लिया । मस्क ने ४४ बिलियन डॉलर अर्थात् पूरे ३६ सहस्र २०६ कोटि ५८ लक्ष ८० सहस्र रुपयाें में ट्विटर आस्थापन का क्रय किया है । जब मस्क ने ट्विटर का क्रय करने के लिए ४४ बिलियन डॉलर व्यय करने की घोषणा की, तब सभी को अचरज हुआ था; किंतु ट्विटर के बनावटी (झूठे) खातों का सूत्र मस्क ने उपस्थित किया । इन बनावटी खातों की जानकारी उन्हें आस्थापन के संचालक मंडल से नहीं दी गयी थी । इस लिए उन्हों ने यह अनुबंध रहित करने की घोषणा की । उन्हों ने अक्टूबर मास में यह प्रक्रिया पुन: चालू कर ट्विटर का क्रय किया ही; किंतु उसी के साथ ट्विटर के मुख्य अधिकारियों में से तीन को त्वरित निकाल दिया । इन में २ भारतीय वंश के , तो १ अन्य है । इन निकाले गये लोगों में पराग अग्रवाल, विजया गड्डे जैसे भारतीयाें के नाम पढकर अन्य भारतीयाें को बुरा लग सकता है; किंतु जो नाम भारतीय समझ कर हम पढ रहे हैं , वे प्रत्यक्ष में भारतविरोधी साम्यवादी मानसिकता के लोगों के हैं, यह समझ लेना आवश्यक है ।

ट्विटर के संस्थापक जॅक डोर्सी जब कुछ वर्ष पहले भारत में आये थे, तब उन्हों ने यहां की ‘पुरुषसत्ताक पद्धति को रौेंद डालो !’, ऐसी पटरी हाथ में पकडी थी । उस समय विजया गड्डे, बरखा दत्त आदि साम्यवादी मानसिकता की महिलाएं उनके साथ उपस्थित थीं । ‘विदेश के एक विश्वप्रसिद्ध आस्थापन का संस्थापक भारत में आता है और ऐसी कुछ पटरियां प्रदर्शित करता है, यह सर्वसामान्य भारतीयाें को अचंभित करनेवाला था । मानवजाति का कल्याण करनेवाली,परिवारव्यवस्था संभालनेवाली भारतीय संस्कृित के प्रति इतना द्वेष उनके मन में निश्चित ही भारत में रहकर यहां की संस्कृित का तिरस्कार करनेवालों ने उनके मन में डाला होगा, यह स्पष्ट होता है । अन्यथा अतिथि यहां की व्यवस्था क्या जानेंगे? यहां के साम्यवादी लेखकाें का एक ही काम है, वह है यहां की संस्कृति और सभ्यता पर आलोचनात्मक लिख कर भारत की प्रतिमा विदेश में जितनी कर सके उतनी मलीन करना ! इस का नवतर उदाहरण है ब्रिटन के प्रसिद्ध दैनिक ‘द गार्डियन’ के लेखक पंकज मिश्रा की ब्रिटन के नवनियुक्त प्रधानमंत्री ऋषी सुनक की यह आलोचना कि ‘ऋषी सुनक का गोमांस और मद्य से दूर रहना, यह सवर्णाें की विचारधारा!’, ‘सुनक भारत के राष्ट्रवादियों के लिए ‘देशी ब्रो’ (भारतीय रहनेवाले विदेशी भाई ) हैं ।’ हम कल्पना भी नहीं कर सकते, ऐसी घातक विचारधारा साम्यवादियों के सडे सिरमें जमी रहती है ।

विजया गड्डे (साम्यवादी) पराजित

मस्क ने ट्विटर से हटाये साम्यवादियों में से विजया गड्डे ने अमरिका के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प का ट्विटर खाता आजीवन प्रतिबंधित किया । (ट्रम्प तब मुक्त विचारधारा के और हिंदुओं का विशेषकर भारत का समर्थन करनेवाले थे ।) वे तथाकथित ब्राह्मणसत्ताक पद्धति के विरोधक थीं और उन्होंने साम्यवादियों को झूठे समाचार प्रसारित होने के लिए मुक्त व्यासपीठ उपलब्ध कर दिया । शेफाली वैद्य, ट्रू इंडॉलॉजी और अन्य अनेक हिंदुत्वनिष्ठ अपने ट्विटर हँडल पर राष्ट्र और धर्म हितैषी लेखन ट्वीट कर प्रसारित करते थे; किंतु उनका ट्वीट सहस्रो लोगों ने ‘रिट्वीट’ करने पर भी लोगों की संख्या सेकडों की ही रहती थी । कभी कभी इन ट्वीट्स को ‘लाईक’ (भाया) करनेवालों की संख्या, रिट्वीट करनेवालों की संख्या अचानक घट जाती थी । ट्विटर पर हिंदुत्वनिष्ठाें के ‘फॉलोअर्स’ (अनुयायी) संख्या विशिष्ट मर्यादा के आगे नहीं बढती थी, तो कभी कभी यह संख्या घट भी जाती थी ।कुछ हिंदुत्वनिष्ठाें के ट्विटर हँडल केवल कुछ राष्ट्र और धर्म हितैषी लेखन पर किसी ऐरेगैरे ने आक्षेप लेने पर ‘सस्पेंड’ (अस्थायी अथवा सदा के लिए प्रतिबंधित) किया जाता । इसके विपरीत साम्यवादी और धर्मांधों के खातों के विषय में आक्षेप हिंदुत्वनिष्ठाें ने ‘ट्विटर इंडिया’, इस ट्विटर के भारत के हँडल के पास लिखाए; किंतु उसका कोई भी परिणाम अपप्रकारों पर नहीं होता था । तत्पश्चात् ये प्रकार जानबूझकर किए जा रहे हैं, यह हिंदुत्वनिष्ठ और ट्विटर का प्रयोग करनेवाले अन्य राष्ट्रप्रेमियों के भी ध्यान में आया । विजया गड्डे के व्हॉट्सएप खाते का विविध साम्यवादियों से सीधा संपर्क था । साम्यवादी उन्हें उपर्युक्त (अप)प्रकार करने बताते थे और तदनुसार वे कृतियां करती थीं, ऐसी जाननेवालों की जानकारी है । यहां विचार करने का सूत्र यह है की प्रामाणिकता से सामाजिक माध्यमों में व्यक्त होने का भारत के राष्ट्र और धर्म प्रेमियों का मार्ग ही ट्विटर के पूर्वग्रहदूषित अधिकारियों ने प्रतिबंधित किया था ।अन्य देश के राष्ट्रप्रेमियों को भी इससे बडा धक्का लगा था । प्रसारमाध्यमाें के पश्चात् इतना बडा सामाजिक व्यासपीठ भी साम्यवादियों के नियंत्रण से बाहर नहीं रहा, यह यहां लिखना आवश्यक लगता है ।

ऐसे इन साम्यवादी अधिकारिओं ने एक प्रकार का मुख दबाने का, बोलने न देने का प्रकार भारतियों से किया है । इसलिए ट्विटर को इस साम्यवादी आतंकवाद से मुक्त करना आवश्यक था ।उद्योगपति इलॉन मस्क यह निश्चय मस्क जैसे मुक्त विचारों के पुरस्कर्ताओं ने किया और उसे पूरा भी किया। ट्विटर क्रय करने के उपरांत और तीन अधिकारिओं को निकाल देने के पश्चात् मस्क ने व्यर्थ ही ट्वीट नहीं किया था, ‘चिडिया मुक्त हुई…। अच्छे दिन आने दे !’केवल ट्विटर ही नहीं, तो सभी प्रकार के सामाजिक माध्यमाें पर साम्यवादी कीडा नष्ट होकर राष्ट्र और धर्म प्रेमियों को विचारस्वातंत्र्य का अनुभव होना आवश्यक है तथा वह शीघ्र ही पूरा होगा कि नहीं, यह आगामी समय में जान ही लेंगे !

सामाजिक माध्यमों पर साम्यवादिओं का वर्चस्व नष्ट होने के लिए राष्ट्रप्रेमिओं ने अभियान चलाना आवश्यक !