‘स्नेक्स इन दी गंगा : ब्रेकिंग इंडिया 2.0’(गंगा के सांप : भारत को तोडना २.०), अंग्रेजी भाषा की इस पुस्तक से भारत को विभिन्न स्थानों से किस प्रकार के संकट हैं, इसकी जानकारी मिलती है । भारत को पाकिस्तान एवं चीन से संकट होने की बात तो सर्वविदित है; परंतु ‘अमेरिका की कुछ संस्थाओं से भी भारत को संकट है’, यह बात सभी लोग जानते हैं; ऐसा नहीं है । भारत में लोकतंत्र है । वैसे ही वह अमेरिका में भी है । कहा जाता है कि ‘पश्चिमी देश एवं अमेरिका भारत के विकास में सहायक होंगे’; परंतु राजीव मल्होत्रा की ‘स्नेक्स इन दी गंगा : ब्रेकिंग इंडिया 2.0’ पुस्तक से कुछ भिन्न (अलग) बातें सामने आई हैं । भारत की प्रगति को रोकने के लिए तथा उसके टुकडे-टुकडे करने के लिए अमेरिका में किस प्रकार से काम चल रहा है ? वह कौन कर रहा है ? तथा उन्हें कैसे रोकना चाहिए ?, इस पुस्तक में इस पर प्रकाश डाला गया है ।
१. अमेरिका स्थित ‘फोर्ड फाउंडेशन’ की ओर से भारतविरोधी संगठनों को करोडों रुपए की सहायता दी जाना तथा इनमें से किसी की भी भारत की प्रगति की इच्छा न होना
अमेरिका के ‘वॉशिंग्टन पोस्ट’ एवं ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ माध्यम सदैव भारत के विरुद्ध ही लिखते हैं । चीन ने उन्हें खरीद लिया है तथा वे स्वयं को भारत से श्रेष्ठ मानते हैं । अमेरिका की कुछ गैरसरकारी संस्थाएं (‘एन.जी.ओ.’) भारत को झुकाना चाहती हैं । इसमें प्रमुख नाम है ‘फोर्ड फाउंडेशन’ । अमेरिका में ‘फोर्ड’ नामक एक अध्यक्ष थे । उनके नाम से यह संस्था चलाई जाती है । यह संस्था भारत की अनेक सामाजिक संस्थाओं की सहायता करती है । इनमें से कुछ संस्थाएं देश के टुकडे करने में कार्यरत जिहादी विचारधारावाली हैं, तो कुछ संस्थाओं को भारत का विकास रुकवाना है, इसका अर्थ ये संस्थाएं वामपंथी विचारधारावाली हैं । अमेरिका में जॉर्ज सोरोस नामक एक अत्यंत धनवान व्यक्ति है । वह भी ऐसी संस्थाओं को करोडों रुपए की सहायता करता है । अमेरिका के कुछ विश्वविद्यालय स्वयं को अत्यंत श्रेष्ठ मानते हैं । ‘अमेरिका श्वेत लोगों का राष्ट्र है तथा भारत ब्राऊन लोगों का (गेहुआ रंगवाले लोगों का) राष्ट्र होने से अमेरिका भारत से श्रेष्ठ है; इसलिए उन्हें लगता है कि ‘जैसा हम कहें, वह भारत को सुनना चाहिए’; परंतु वह हमें स्वीकार नहीं है । आज के समय में अमेरिका में ‘डेमोक्रैटिक’ एवं ‘रिपब्लिकन’ जैसे दो राजनीतिक दल हैं । उन्हें भी नहीं लगता कि ‘भारत का विकास हो ।’ इसके लिए वे पूर्णतः दोषी नहीं हैं; क्योंकि आनेवाले चुनाव के उपरांत इन दोनों में से एक दल का राज्य आएगा ।
२. भारतीय मूल की अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भारतविरोधी नीति अपनाना
अमेरिका में रहनेवाले कुछ अनिवासी भारतीय विभिन्न पदों पर विराजमान हैं; परंतु वे भारत का द्वेष करते हैं । अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भारतीय मूल की ही हैं । उनके उपराष्ट्रपति होने पर भारत के अनेक लोग आनंदित हुए थे । अमेरिका विश्व की महासत्ता है । वहां भारतीय मूल का व्यक्ति उपराष्ट्रपति होने के कारण लगा था कि उससे ‘भारत को सभी प्रकार की सहायता मिलेगी, साथ ही भारत को सुरक्षा परिषद की सदस्यता मिलेगी’; परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ । हैरिस ने आते ही भारत के विरुद्ध वक्तव्य देना आरंभ किया । भारत के माध्यमों में भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्हें ‘भारत का भला हो;’ ऐसा कभी नहीं लगता ।
३. विदेशों में अनेक भारतीयों के उच्च पदों पर कार्यरत होते हुए भी वहां भारत का विरोध किया जाना तथा वहां किए गए आक्रमणों में अनेक बार भारतीयों की बलि चढाना
ब्रिटेन में कुछ दिन पूर्व ही सत्ता परिवर्तन हुआ है । वहां की गृहसचिव भारतीय मूल की महिला हैं; परंतु उन्हें भी भारतविरोधी नीति अपनाने में ही रुचि है । उनसे जब यह पूछा गया कि ‘अब भारत एवं ब्रिटेन के मध्य अच्छे संबंध होंगे न ?’; तब वे कहने लगीं, ‘यह संभव नहीं है; क्योंकि ब्रिटेन में अवैध रूप से बडी संख्या में भारत से लोग आते हैं तथा उसके उपरांत वे वापस जाते ही नहीं ।’ उनका यह कहना है कि भारत से ब्रिटेन में अवैध घुसपैठ होती है । उनका कहना कुछ स्तर तक स्वीकार करना पडेगा । कुछ भारतीय लोग वहां अवैध रूप से रहते भी होंगे; परंतु उनकी संख्या बहुत ही न्यून है ।
इसके विपरीत अमेरिका में रह रहे अधिकांश अनिवासी भारतीय बहुत परिश्रम उठानेवाले हैं । आज विश्व में अमेरिका की अर्थव्यवस्था बलशाली है तथा उनकी मुद्रा डॉलर भी बहुत शक्तिशाली है । उसके पीछे कारण है, ‘अनिवासी भारतीय वहां बहुत अच्छा काम कर रहे हैं !’ वे वहां के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं । ऐसा कहा जाता है कि ‘अमेरिका की अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ में ३० प्रतिशत वैज्ञानिक भारतीय हैं ।’ इसके साथ ही ‘गूगल’, ‘माइक्रोसॉफ्ट’ जैसे विश्व के प्रथम श्रेणी के १०० प्रमुख प्रतिष्ठानों में से अनेक प्रतिष्ठानों के मुख्याधिकारी भारतीय हैं; परंतु ऐसा होते हुए भी वहां भारत का विरोध होता है । कुछ दिन पूर्व ही एक सामान्य कारण से एक सिख परिवार पर आक्रमण हुआ, जिसमें ४ लोग मारे गए । उसमें ८ माह की एक लडकी का भी समावेश है । कैनडा में भी भारतीयों पर आक्रमण हुए हैं । ब्रिटेन के लिसेस्टर शहर में हिन्दुओं के मंदिरों पर आक्रमण हुए । भारतविरोधी मानसिकतावाले लोग ही ऐसे दुष्कृत्य करते हैं । कैनडा में एक स्थान पर खालिस्तान पर सर्वमत लिया जा रहा है । भारत ने कैनडा से इसे रोकने के लिए कहा; परंतु उसने वह तैयारी नहीं दिखाई ।
४. अमेरिका स्थित भारतविरोधी शक्तियों की ओर से भारत के विरुद्ध गहन युद्ध चलाया जाना
राजीव मल्होत्रा अपनी पुस्तक में यही बात बताते हैं कि वहां भारत के विरुद्ध एक गहन युद्ध चल रहा है । इस युद्ध को उन्होंने ‘ब्रेकिंग इंडिया 2.०’ कहा है । इसमें एक अच्छी ‘आर्केस्ट्रटेड ग्लोबल मशीनरी (अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक जटिल उपक्रम)’ है तथा उसकी एक नई विचारधारा है । उनके मत के अनुसार ‘भारत कभी भी एक देश नहीं था । वर्ष १९४७ के उपरांत ही भारत की संकल्पना सामने आई । ब्रिटिश न होते, तो भारत नाम का कोई देश ही नहीं होता;’ परंतु यह पूर्णरूप से मिथ्या (झूठ) है ।
उन्होंने एक सिद्धांत बनाकर ‘क्रिटिकल रेज थियरी’ बनाई है । उसमें माना जाता है कि ‘अमेरिका के शिक्षासंस्थान तथा लोग भारत से श्रेष्ठ हैं ।’ उनकी यह अवधारणा है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं, वहां जातिवाद अधिक है, यहां की महिलाओं पर अत्याचार होते हैं तथा सत्ताधारी दल के लोग ही ये अत्याचार करते हैं । इन सभी समस्याओं से भारत को बचाने के लिए उसके टुकडे किए जाने चाहिए । उससे भारत के लोगों पर हो रहे आक्रमण रुक जाएंगे तथा उसके उपरांत भारत एक अच्छे देश के रूप में सामने आएगा । इसमें उन्होंने कुछ सिद्धांत (थियरी) बनाए हैं, जिन्हें ‘वोग थियरी’ कहा जाता है । वहां के कुछ विश्वविद्यालयों में भारत को बचाने के लिए उसका किस प्रकार से विभाजन करना चाहिए; इस प्रकार का शोध किया जाता है । साथ ही उन्हें ऐसा लगता है कि हॉवर्ड विश्वविद्यालय विश्वगुरु है तथा वही भारत को बचा सकता है । उसे ‘वोकिजम’ भी कहा जाता है । चीन उसी का लाभ उठा रहा है ।
५. भारत का विकास रोकने के लिए भारत में कार्यरत सामाजिक संस्थाओं को विदेशों से सहस्रों करोड रुपए की सहायता मिलना
आपको यह ज्ञात होगा कि अमेरिका की सभी संस्थाएं भारत में ५० से ६० सहस्र करोड रुपए भेजती थीं तथा कुछ सामाजिक संस्थाओं को (‘एन.जी.ओ.’ को) दे रही थीं । उसमें मानव अधिकार, विकास में बाधा उत्पन्न करनेवाली, महिला अत्याचार के विरुद्ध कार्य करनेवाली तथा पर्यावरण की रक्षा करनेवाली कुछ संस्थाओं का समावेश था ।
ये संस्थाएं भारत में दुर्बल वर्ग पर अत्याचार होने के चित्र बनाती हैं । चीन में भारत से १०० गुना अत्याचार हो रहे हैं । उससे अधिक अत्याचार अमेरिका में होते हैं । अमेरिका में ‘गन पॉलिसी’ (बंदूक से संबंधित नीति) है । अमेरिकी अपने ही लोगों की हत्या करते हैं । उन्हें स्वयं काम नहीं करना है; अपितु भारत से स्थानांतरित भारतीय लोगों से ही सभी काम करवाने हैं ।
६. जो बाइडेन के उद्योगपति पुत्र पर चीन का प्रभाव होने से उनसे चीन के लिए अनुकूल नीति अपनाई जाना
भारत के ही कुछ विद्वान वहां जाकर भारत में अनुचित घटनाएं होने का दुष्प्रचार करते हैं । सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह कि वहां ‘भारत की सरकार बदली जानी चाहिए’, यह सिद्धांत फैलाया जाता है । भारत के लोगों ने अपनी सरकार चुनी है । उन्हें जब ऐसा लगेगा कि भारत की सरकार उचित ढंग से काम नहीं कर रही है, तो वे अगले चुनाव में इससे अच्छी सरकार चुनेंगे । भारत में केंद्र से लेकर ग्रामपंचायत स्तर तक लोकतांत्रिक पद्धति से निर्णय लिए जाते हैं ।
भारत के लिए अति आवश्यक ‘सीएए’ (नागरिकता संशोधन अधिनियम) एवं ‘एन.आर.सी’ (राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन प्रक्रिया) इन कानूनों का विरोध किया गया । देहली की सडकें बंद करने के लिए किसानों को भडकाया गया । आज चीन ने विभिन्न मार्गाें से अमेरिका में घुसपैठ की है । अमेरिका के अध्यक्ष जो बाइडेन के पुत्रों के उद्योगों में चीनियों का सहभाग बडी संख्या में हैं । बाइडेन के पुत्रों पर चीन का प्रभाव है; इसलिए उनके द्वारा चीन के लिए अनुकूल नीति अपनाई जाती है । इस पुस्तक में ऐसे अनेक सूत्रों पर प्रकाश डाला गया है ।
७. इस पुस्तक को ‘स्नेक्स इन दी गंगा : ब्रेकिंग इंडिया 2.0’ नाम देने का कारण
लोगों को ऐसा लगेगा कि इस पुस्तक को ‘स्नेक्स इन दी गंगा’ नाम क्यों दिया गया है ? इसका कारण यह है कि गंगाजी भारतीयों के लिए पवित्र नदी हैं । भारतीय लोगों की यह आस्था है कि गंगा स्नान के कारण हमें पुण्य मिलता है तथा हमारे सभी कार्य पूर्ण होते हैं । यदि इसी नदी में सांप होंगे, तो वे देश के लिए संकटकारी हैं । आज हम जिस गंगाजी को पवित्र मानते हैं, वे गंगाजी असुरक्षित बना दी गई हैं । आज गंगाजी का पानी ऊपर से कितना भी शांत लग रहा हो; परंतु उसके अंदर गडबडी चल रही है । जिस प्रकार से २०० वर्ष पूर्व ब्रिटिशों ने उपनिवेशवाद आरंभ कर भारत पर अनेक वर्षाें तक राज किया, उसी प्रकार से उन्हें उपनिवेशवाद अपनाना है ।
मल्होत्रा की पहली पुस्तक को ‘१.०’ कहा गया था । उसमें उन्होंने देश के सामने उत्पन्न विभिन्न संकटों की चर्चा की थी । और अधिक शोध करने पर उनके यह ध्यान में आया कि भारतविरोध के लिए कुछ लोग शांति से सभी कृत्य कर रहे हैं । ये लोग ‘दलित, मुसलमान एवं महिलाओं पर हो रहे अत्याचार आदि सामाजिक समस्याओं के लिए आज की केंद्र सरकार ही उत्तरदायी है तथा उसे गिराया जाना चाहिए’, इस विषय में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को प्रभावित करते हैं । देशविरोधी गतिविधियां तथा दुष्प्रचार किस प्रकार चल रहा है, इस विषय में यह पुस्तक उचित जानकारी देती है । भारत के ही कुछ लोग इन देशविरोधी लोगों की किस प्रकार सहायता करते हैं तथा अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश से भारत को किस प्रकार हानि पहुंच सकती है, यह इस पुस्तक से ध्यान में आता है ।
‘अमेरिका एक बुरा देश है’, ऐसा नहीं कहना है । अमेरिका के ३-४ प्रतिशत अनिवासी भारतीय बहुत काम करते हैं; परंतु जॉर्ज सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, हॉवर्ड विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं के द्वारा इस प्रकार के विपरीत काम किए जाते हैं । उन्हें भारत के युवकों का ‘ब्रेनवॉश’ कर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फैलाना है । इससे भारत के विकास की गति धीमी पड जाएगी । वैसे देखा जाए, तो मार्क्सवाद एवं वामपंथी विचारधारा रूस एवं चीन से संबंधित हैं; परंतु अमेरिका के कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि देश की प्रगति उनके अतिरिक्त कोई नहीं कर सकता । वे कुछ ऐसे विषयों को उछालते हैं, जो अनेक बार अनावश्यक होते हैं ।
८. ‘स्नेक्स इन दी गंगा : ब्रेकिंग इंडिया 2.0’ पुस्तक से भारत को अपने सामने उत्पन्न संकटों को समझकर उन्हें दूर करना चाहिए !
इस शोधकार्य के लिए हमें राजीव मल्होत्रा का धन्यवाद करना चाहिए । यह ‘प्रोवोकेटिव’ (जागृत करनेवाली) पुस्तक है । यह पुस्तक भारतीयों की आंखें खोलने में सहायता करती है । मेरे विचार के अनुसार भारतीयों को इस पुस्तक को अवश्य पढना चाहिए तथा इन संकटों को समझ लेना चाहिए । हम कुछ विशेष अभियान चलाकर इन संकटों को कैसे रोक सकते हैं, यह सबसे महत्त्वपूर्ण बात है । जब तक हम इन संकटों को समझ नहीं लेंगे, तब तक अच्छे ढंग से इन संकटों का सामना नहीं किया जा सकेगा । यह पुस्तक भारत के शत्रुओं की पहचान करने में सहायता करती है । अतः भारतीयों को ‘स्नेक्स इन दी गंगा : ब्रेकिंग इंडिया 2.0’ पुस्तक अवश्य पढनी चाहिए ।
जय हिन्द !’
– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे, महाराष्ट्र.